भाल पे चंद्रमाँ कंठ में नीलमाँ
भाल पे चंद्रमाँ कंठ में नीलमाँ
(मुखड़ा)लेहरा के गंगा जटा से बही,
दृश्य ऐसा हुआ है, ना होगा कहीं।
मानो ऐसा लगा जैसे बरसी घटा,
देख के ये छटा तो मज़ा आ गया।
भाल पे चंद्र माँ, कंठ में नील माँ,
देखा जोगी जो ऐसा, मज़ा आ गया।
मानो ऐसा लगा जैसे बरसी घटा,
देख के ये छटा तो मज़ा आ गया।।
(अंतरा)
नाग विष धर गले में लपेटे हुए,
सारी सृष्टि स्वयं पे समेटे हुए।
त्रिनयन में वसा त्रिभव का नशा,
इसमें जो डूबा, मज़ा आ गया।
भाल पे चंद्र माँ, कंठ में नील माँ।।
प्रकृति और पुरुष, गौरी शंकर बने,
हुए जब एक, अर्धनारीश्वर बने।
आधा तन गौरी का, आधा तन भोले का,
देख अद्भुत नज़ारा, मज़ा आ गया।
भाल पे चंद्र माँ, कंठ में नील माँ।।
(पुनरावृत्ति)
भाल पे चंद्रमाँ, कंठ में नीलमाँ,
देखा जोगी जो ऐसा, मज़ा आ गया।।
शिव की जटाओं से बहती गंगा उनका कल्याणकारी रूप दर्शाती है। उनकी उपस्थिति स्वयं में एक अद्भुत दृश्य है, जिसकी तुलना किसी और चीज़ से नहीं की जा सकती। वह संपूर्ण ब्रह्मांड को अपने भीतर समेटे हुए हैं, फिर भी पूर्ण वैराग्य के प्रतीक हैं। नागों का हार और गले में विष धारण करना उनकी निर्भीकता और त्याग को दर्शाता है। वह सृष्टि के सभी पहलुओं को सहज रूप से अपनाते हैं—विष को गले में समेटकर, चंद्रमा को भाल पर धारण कर। उनका रूप भयंकर होते हुए भी सौम्यता से भरा है, जिससे भक्तों को असीम आनंद की अनुभूति होती है।
अर्धनारीश्वर स्वरूप सृष्टि के संतुलन का प्रतीक है—प्रकृति और पुरुष का संगम, जिसमें शिव और शक्ति एकाकार होते हैं। यह भाव जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है, यह दिखाता है कि शिव और शक्ति मिलकर ही संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना और संचालन करते हैं।
शिव के इस विलक्षण रूप को देखने से मन भक्तिभाव से भर जाता है और आत्मा उस दिव्य छवि में रम जाती है। यह भजन शिव के अद्भुत स्वरूप को मन में चित्रित कर उसे भक्ति और श्रद्धा से ओत-प्रोत कर देता है।
अर्धनारीश्वर स्वरूप सृष्टि के संतुलन का प्रतीक है—प्रकृति और पुरुष का संगम, जिसमें शिव और शक्ति एकाकार होते हैं। यह भाव जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है, यह दिखाता है कि शिव और शक्ति मिलकर ही संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना और संचालन करते हैं।
शिव के इस विलक्षण रूप को देखने से मन भक्तिभाव से भर जाता है और आत्मा उस दिव्य छवि में रम जाती है। यह भजन शिव के अद्भुत स्वरूप को मन में चित्रित कर उसे भक्ति और श्रद्धा से ओत-प्रोत कर देता है।