दध बेचे सुघड़ ब्रजनार सो दध बेचन हरे

दध बेचे सुघड़ ब्रजनार सो दध बेचन हरे हरे

दध बेचें सुघड़ ब्रजनार,
सो दध बेचन हरे हरे,
सो दध बेचन निकलीं |

सास कहे सुन मेरी बहुअर
दध बेचन मत जा
राह में कान्हा धेनु चरावे,
तोड़े नौलखा हार
झपट लेगा हरे हरे,
झपट लेगा नथ दुलरी,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

बहू कहे सुन मेरी सासुल
दहि बेचन मैं जाऊँ,
उस कान्हा की मति हर लाऊँ,
लखे जो नौलखा हार
छुए जो मेरी हरे हरे छुए
जो मेरी नथ दुलरी,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

बरसाने से चली गुजरिया
कर सोलह सिंगार,
बाल बाल गज-मोती पोए,
पहना नौलखा हार
पहन लीनी हरे हरे
पहन लीनी नथ दुलरी,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

बंसी-बट के बीच कन्हैया
खड़े चरावें गाएँ,
मोर-मुकुट सिर ऊपर सोहे,
गल वैजंती माल
अधर सोहे हरे हरे
अघर पे लागी मुरली ||
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

कान्हा को लख कहे गुजरिया,
देखन में तो नीक
भले घरन का लागे फिर भी,
काम करे क्यों नीच
दही की माँगे हरे हरे
दही की क्यों माँगे तू भीख,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

भीख तो माँगूँ प्रेम की तेरे,
मत कर पाँच और तीन,
अपने दहि का भोग लगा दे,
नहीं तो लूँगा मैं छीन
बखेरूँ यहीं हरे हरे
बखेरूँ तेरी सारी गगरी,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

छीना-झपटी मत कर
कान्हा, फाटे मेरा चीर,
मैं चन्द्रावल गूजरी कहिए
तेरी तो जात अहीर
के तेरी-मेरी हरे हरे
के तेरी-मेरी नाहीं बने,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

दूध-दही का दान जो लूँगा,
दूँगा तुझको ज्ञान,
मैं हूँ पुरुष और तू है प्रकृति,
सोच जरा धर ध्यान,
दिखेंगे तुझे हरे हरे
दिखेंगे तुझे हरी गुजरी,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार।

चन्द्र सखी लख रास रचैया,
बार-बार बलिहार,
मथुरा जी में जनम लिया,
और नाचें ब्रज के मँझार,
धन्य हुए हरे हरे,
धन्य हुए ग्वाल गुजरी,
दहि बेचें सुघड़ ब्रजनार। 

शब्दार्थ : दध = दही, धेनु = गाय, दुलरी = दो लड़ वाली माला , गज-मोती = पारदर्शी अंदर से सुनहरी छोटे-छोटे मोती, नीक = भला, अच्छा . 

ब्रज की गलियों में राधा रानी की धूम - Latest Krishna Janmashtami Bhajan By Saurabh Madhukar

गूजरी का सोलह श्रृंगार, नौलखा हार, और नथ पहनकर बाजार जाना उसकी सजधज और आत्मविश्वास को दर्शाता है, जैसे कोई अपने सौंदर्य और हौसले के साथ दुनिया का सामना करने निकलता हो।

सास की चेतावनी कि कान्हा दही की गगरी छीन लेगा, और गूजरी का निडर जवाब कि वह कान्हा की मति हर लेगी, उस प्रेममय चुनौती को जाहिर करता है, जो उनके बीच का रिश्ता इतना जीवंत बनाता है। यह भाव है, जैसे कोई अपने प्रिय की शरारतों को जानते हुए भी उसका सामना करने को तैयार हो।

श्रीकृष्णजी का बंसी-बट के पास गाय चराना, मोर मुकुट और वैजयंती माला पहनना, और मुरली की धुन बजाना, उनकी अलौकिक छवि को उकेरता है। गूजरी का उन्हें देखकर “नीक” मानना, पर उनकी चोरी पर सवाल उठाना, उस चंचल संवाद को दर्शाता है, जैसे कोई अपने प्रिय से मजाक में तकरार करे।

 
भक्तों के हर दुःख दर्द दूर करते हैं श्री खाटू श्याम जी : श्री श्याम बाबा को खाटू नरेश भी कहा जाता है और अपने भक्तों के हर दुःख दर्द दूर करते हैं। श्री श्याम बाबा सीकर जिले के खाटू नगर में विराजमान है। श्री खाटू श्याम बाबा को श्री कृष्ण जी से आशीर्वाद प्राप्त था की वे कलयुग में कृष्ण जी के अवतार के रूप में पूजे जाएंगे और इनकी शरण में आने वाले की हर पीड़ा को स्वंय भगवान् श्री कृष्ण हर लेंगे। श्री खाटू श्याम जी के मुख मंदिर के अलावा दर्शनीय स्थलों में श्री श्याम कुंड और श्याम बगीची भी हैं जो मंदिर परिसर के पास में ही स्थित हैं। 
 
Radha Krishna Bhajan : Radhe Radhe Jape Ja Subho Sham Viraj ki Galiyon Mein
Singer : Saurabh - Madhukar
Lyrics- Ravi Sharma 'Suraj'
 
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post