दादू दयाल के दोहे हिंदी में Dadu Dayal Dohe in Hindi

 दादू दयाल के दोहे हिंदी में Dadu Dayal Dohe in Hindi
 
दादू दीया है भला, दिया करो सब कोय।
घर में धरा न पाइए, जो कर दिया न होय।

दादू इस संसार मैं, ये द्वै रतन अमोल।
इक साईं इक संतजन, इनका मोल न तोल॥

हिन्दू लागे देहुरा, मूसलमान मसीति।
हम लागे एक अलख सौं, सदा निरंतर प्रीति॥

मेरा बैरी 'मैं मुवा, मुझे न मारै कोई।
मैं ही मुझकौं मारता, मैं मरजीवा होई॥

तिल-तिल का अपराधी तेरा, रती-रती का चोर।
पल-पल का मैं गुनही तेरा, बकसहु ऑंगुण मोर॥

खुसी तुम्हारी त्यूँ करौ, हम तौ मानी हारि।
भावै बंदा बकसिये, भावै गहि करि मारि॥

सतगुर कीया फेरि करि, मन का औरै रूप।
दादू पंचौं पलटि करि, कैसे भये अनूप॥

बिरह जगावै दरद कौं, दरद जगावै जीव।
जीव जगावै सुरति कौं, तब पंच पुकारै पीव।

दादू आपा जब लगै, तब लग दूजा होई।
जब यहु आपा मरि गया, तब दूजा नहिं कोई॥

सुन्य सरोवर मीन मन, नीर निरंजन देव।
दादू यह रस विलसिये, ऐसा अलख अभेव॥

दादू हरि रस पीवताँ, कबँ अरुचि न होई।
पीवत प्यासा नित नवा, पीवण हारा सोई॥

माया विषै विकार थैं, मेरा मन भागै।
सोई कीजै साइयाँ, तूँ मीठा लागै॥
 
दादू दयाल (1544-1603 ई.) हिंदी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं। दादू के नाम से 'दादू पंथ' चल पडा।

जन्म
दादू दयाल का जन्म चैत्र शुक्ला अष्टमी वि. सं. 1601 (सन् 1544) को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। इनके पिता का नाम जगन्नाथ था और माता का नाम सुंदरी था।

शिक्षा
दादू दयाल ने प्रारंभिक शिक्षा अहमदाबाद में ही प्राप्त की। इसके बाद वे जयपुर गए और वहाँ रहकर संस्कृत, अरबी और फ़ारसी का अध्ययन किया।

संत जीवन
दादू दयाल ने 12 वर्ष की आयु में ही गृह त्याग कर दिया और संसार से विरक्त हो गए। वे राजस्थान में भ्रमण करते हुए विभिन्न संतों से मिले और उनसे ज्ञान प्राप्त किया।

दादू पंथ
दादू दयाल ने एक निर्गुणवादी संप्रदाय की स्थापना की, जिसे 'दादू पंथ' के नाम से जाना जाता है। इस संप्रदाय के अनुयायी ईश्वर को निर्गुण मानते हैं और वे किसी भी प्रकार की मूर्तिपूजा या बाह्य आडंबरों को नहीं मानते हैं।

रचनाएँ
दादू दयाल ने शबद और साखी की रचना की। इनकी रचनाओं में प्रेम, भक्ति, ज्ञान और अध्यात्म का सुंदर चित्रण मिलता है।

प्रमुख रचनाएँ
दादू सागर
दादूवाणी
दादू विनोद
दादू ग्रंथावली
प्रमुख विचार

दादू दयाल के प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं:
ईश्वर एक है और वह सर्वव्यापी है।
ईश्वर निर्गुण और निराकार है।
भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है।
सभी प्राणी ईश्वर के अंश हैं।
जात-पात और ऊंच-नीच का भेद मिथ्या है।
दादू दयाल का प्रभाव
दादू दयाल के विचारों और शिक्षाओं का हिंदी साहित्य और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इनके विचारों ने अनेक संतों और कवियों को प्रेरित किया है।
+

एक टिप्पणी भेजें