गोद में माँ की सोना है भजन
गोद में माँ की सोना है
श्याम है अर्ज मेरी उम्र घटा दो मेरी,
हां बचपन लोटा दो संग रहे माँ मेरी,
अब मुझे और बड़ा नही होना है,
गोद में माँ की सोना है,
ऊँगली पकड कर मैं चलू,
माँ हो मेरे साथ लोर सुनाये माँ,
हां बचपन लोटा दो संग रहे माँ मेरी,
अब मुझे और बड़ा नही होना है,
गोद में माँ की सोना है,
ऊँगली पकड कर मैं चलू,
माँ हो मेरे साथ लोर सुनाये माँ,
मुझको सिर पर फेरे हाथ,
माँ की चाहत में जीवन भिगोना है,
गोद में माँ की सोना है....
भूख लगे जब भी मुझको माँ को दूआवाज,
माँ के हाथ से खाऊ खुद पर हो मुझे नाज,
दुनिया पीतल है सब माँ सोना है,
गोद में माँ की सोना है.....
हाथ फिरा कर सिर पे कहते बड़े तेरे वपार,
समय नही उस माँ की खातिर सब कुछ है बेकार,
छोड़ जाए गी माँ फिर रोना है,
गोद में माँ की सोना है.......
कुछ लोगो की नजरो में माँ की कदर नही,
भूधी आँखे तरस रही बेटे पर असर नही,
माँ के बिन सोनी जीना भी क्या जीना है,
गोद में माँ की सोना है
माँ की चाहत में जीवन भिगोना है,
गोद में माँ की सोना है....
भूख लगे जब भी मुझको माँ को दूआवाज,
माँ के हाथ से खाऊ खुद पर हो मुझे नाज,
दुनिया पीतल है सब माँ सोना है,
गोद में माँ की सोना है.....
हाथ फिरा कर सिर पे कहते बड़े तेरे वपार,
समय नही उस माँ की खातिर सब कुछ है बेकार,
छोड़ जाए गी माँ फिर रोना है,
गोद में माँ की सोना है.......
कुछ लोगो की नजरो में माँ की कदर नही,
भूधी आँखे तरस रही बेटे पर असर नही,
माँ के बिन सोनी जीना भी क्या जीना है,
गोद में माँ की सोना है
सुंदर भजन में माँ के प्रेम, ममता और त्याग को अद्भुत रूप से प्रदर्शित किया गया है। यह भजन उस भावनात्मक जुड़ाव को उजागर करता है, जो एक संतान को अपनी माँ के साथ होता है। माँ केवल जन्म देने वाली नहीं, बल्कि जीवनभर मार्गदर्शन करने वाली शक्ति होती है।
बचपन की निर्दोषता और माँ की गोद की गर्माहट सबसे सुरक्षित स्थान होती है। वह स्नेह जो माँ के आंचल में मिलता है, जीवन के किसी भी अन्य अनुभव से श्रेष्ठ होता है। माँ की ऊँगली पकड़कर चलना केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि विश्वास और सुरक्षा की अनुभूति है।
जब संतान भूख का अनुभव करती है, तब माँ का हाथ सबसे पहले आगे बढ़ता है। वही हाथ जो जीवन की हर कठिनाई में सहारा देता है, वही हाथ जो प्रेम से भोजन परोसता है। संसार में हर वस्तु फीकी पड़ सकती है, लेकिन माँ का प्रेम शुद्ध सोने के समान अमूल्य रहता है।
बचपन की निर्दोषता और माँ की गोद की गर्माहट सबसे सुरक्षित स्थान होती है। वह स्नेह जो माँ के आंचल में मिलता है, जीवन के किसी भी अन्य अनुभव से श्रेष्ठ होता है। माँ की ऊँगली पकड़कर चलना केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि विश्वास और सुरक्षा की अनुभूति है।
जब संतान भूख का अनुभव करती है, तब माँ का हाथ सबसे पहले आगे बढ़ता है। वही हाथ जो जीवन की हर कठिनाई में सहारा देता है, वही हाथ जो प्रेम से भोजन परोसता है। संसार में हर वस्तु फीकी पड़ सकती है, लेकिन माँ का प्रेम शुद्ध सोने के समान अमूल्य रहता है।
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