क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे लिरिक्स Kyo Gumaan Kare Kaya Ka Lyrics
क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरेएक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है
नाम गुरु का सुमिर मन मेरे बावरे
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है।
तूने संसार को तो है चाहा मगर
नाम प्रभु का है तूने तो ध्याया नही
मोह ममता में तू तो फँसा ही रहा
ज्ञान गुरु का हिरदय लगाया नही
मौत नाचे तेरे सर पे ओ बावरे
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है।
आयेगा जब बुलावा तेरा बावरे
छोड़ के इस जहाँ को जाएगा तू
साथ जाएगा ना एक तिनका कोई
प्यारे रो रो बहुत पछताएगा तू
आज से अभी से लग जा तू राम में
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है।
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Kyoon Gumaan Kare Kaaya Ka Man Mere
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai
Naam Guru Ka Sumir Man Mere Baavare
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai.
Toone Sansaar Ko To Hai Chaaha Magar
Naam Prabhu Ka Hai Toone To Dhyaaya Nahee
Moh Mamata Mein Too To Phansa Hee Raha
Gyaan Guru Ka Hiraday Lagaaya Nahee
Maut Naache Tere Sar Pe O Baavare
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai.
Aayega Jab Bulaava Tera Baavare
Chhod Ke Is Jahaan Ko Jaega Too
Saath Jaega Na Ek Tinaka Koee
Pyaare Ro Ro Bahut Pachhataega Too
Aaj Se Abhee Se Lag Ja Too Raam Mein
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai.
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai
Naam Guru Ka Sumir Man Mere Baavare
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai.
Toone Sansaar Ko To Hai Chaaha Magar
Naam Prabhu Ka Hai Toone To Dhyaaya Nahee
Moh Mamata Mein Too To Phansa Hee Raha
Gyaan Guru Ka Hiraday Lagaaya Nahee
Maut Naache Tere Sar Pe O Baavare
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai.
Aayega Jab Bulaava Tera Baavare
Chhod Ke Is Jahaan Ko Jaega Too
Saath Jaega Na Ek Tinaka Koee
Pyaare Ro Ro Bahut Pachhataega Too
Aaj Se Abhee Se Lag Ja Too Raam Mein
Ek Din Chhod Kar Ye Jahaan Jaana Hai.
चेतावनी भजन : चेतावनी भजन का का मूल विषय व्यक्ति को उसके अवगुणों के बारे में सचेत करना और सत्य की राह पर अग्रसर करना होता है। राजस्थानी चेतावनी भजनो का मूल विषय यही है। गुरु की शरण में जाकर जीवन के उद्देश्य के प्रति व्यक्ति को सचेत करना ही इनका भाव है। चेतावनी भजनों में कबीर के भजनो को क्षेत्रीय भाषा में गया जाता है या इनका कुछ अंश काम में लिया जाता है।
देसी भजन :
देसी भजनों में देसज भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसमें छंद, गीत शैली
आदि का कोई विशेष ध्यान नहीं रखा जाता है और उद्देश्य होता है की सहज भाषा
में लोगों तक सन्देश पहुंच जाय। राग का भी कोई विशेष नियम नहीं होता है।
क्षेत्रीय स्तर पर प्रचलित वाद्य यंत्रों का प्रयोग इनमे किया जाता है।
जैसे राजस्थान में रावण हत्था एक वाद्य यन्त्र है इस पर सुन्दर तरीके से
भजनो को गाय जाता है। इसके साथ में अन्य वाद्य यंत्रों की अनिवार्यता नहीं
होती है। विशेष बात है लोगों तक सन्देश को पहुंचना। लोक गीत पुरे समाज का
प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके इनके माध्यम से पुरे समाज के बारे में जानकारी
प्राप्त होती हैं। देसी भजनों के तो देवताओं की स्तुति होती है और एक
चेतावनी भजन जिनमे गुरु भजन और व्यक्ति को सद्मार्ग के अनुसरण सबंधी भजन
होते हैं। राजस्थानी चेतावनी भजनों में कबीर भजनों का प्रमुख योगदान हैं
जिन्हे क्षेत्रीय भाषा में अनुवादित करके या फिर उनके कुछ अंश को कार्य में
लिया जाता है। चेतावनी भजन अलग अलग अंचल के भिन्न हैं। हेली भजन चेतावनी
भजनों का ही एक प्रकार है। कर्मा भाई के भजन अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं।
नाथ
पंत भजन और मीरा भजन भी देसी भजनों की श्रृंखला में ही गिने जाते हैं।
मीरा के भजन जहाँ कृष्ण भक्ति से सरोबार हैं वही नाथ जी की भजनों में
विभिन्न देवताओं की स्तुति के आलावा गुरु गोरखनाथ के भजन प्रमुख हैं। मीरा
बाई के पदों के अलावा कबीर, दादू, रैदास, चंद्रस्वामी तथा बख्तावरजी के पद भजनों के द्वारा गाये जाते हैं। देवताओं के भजनों में
विनायक, महादेव, विष्णु, राम, कृष्ण, बालाजी (हनुमान),
भैंरू, जुंझार, पाबू, तेजा, गोगा, रामदेव, देवजी, रणक दे, सती माता,
दियाड़ी माता, सीतला माता, भोमियाजी आदि के भजन प्रमुखता से गाये जाते हैं।
इन भजनों को अंचल विशेष में कुछ जातियों के द्वारा इन्हे गाना ही उनका काम
होता है।
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