हार भी जाता है बाबा श्याम भगतो के लिए
लुट गया सरकार मेरा अपने भगतो के लिए,
अपने भगतो के लिए श्याम अपने भगतो के लिए,
हार भी जाता है बाबा श्याम भगतो के लिए,
रोते रोते जो भी आये श्याम के दरबार में,
रोते को पल में हसाता अपने भगतो के लिए,
सोना चाँदी हीरे मोती से कभी न रीजता,
भाव के तन में ही बिकता श्याम भगतो के लिए,
पापी से भी पापी को मिलती है वाह प्रीत य,
हैप्पी गल्हता अनसु में श्याम भगतो के लिए,
है जरूरत अगर हमें तो श्याम भी पीछे नही ,
एक कदम पर सो बढाता अपने भगतो के लिए,
लेके गम खुशिया जो देदे एसा दानी है कहा,
कुछ भी कर सकता है बाबा श्याम भगतो के लिए,
अपने भगतो के लिए श्याम अपने भगतो के लिए,
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Author - Saroj Jangir
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