हमारी गली होते जाना भजन

हमारी गली होते जाना भजन

हमारी गली होते जाना, ओ प्यारे नंदलाला |
मोर मुकुट पीतांबर सोहे, गले में मोहनमाला, हमारी गली
हाथ लकुटिया अधर बँसुरिया, ओढ़े कंबल काला, हमारी गली
श्याम रंग और नैन रसीले, गउओं का रखवाला, हमारी गली
चुरा-चुरा कर माखन खाए झगड़ रहीं ब्रजबाला, हमारी गली
वृन्दावन की कुंज गलिन में नित-नित डाका डाला, हमारी गली
कालिय दह में कूद के मोहन, नाग नाथ दिया काला, हमारी गली
फन के ऊपर नाच बजाई बंसी की धुन आला, हमारी गली
चीर चुरा कर चढ़े कदम पर, खेला खेल निराला, हमारी गली
चंद्र सखी भज कृष्ण-कन्हैया राधा का मतवाला, हमारी गली शब्दार्थ : लकुटिया = छोटी लाठी

कृष्ण भजन || बंसी वाले तू हमारी गली आ जाना || Bansi Wale Tu Hamari Gali Aa Jana || Krishna Bhajan

Title: बंसी वाले तू हमारी गली आ जाना
Singer: Vandana Bhardwaj
Music: Santosh Kumar
Producers: Amresh Bahadur, Ramit Mathur
Label: Yuki

गोकुल की गलियों में उनकी मनोहर छवि मानो सजीव हो उठती है—मोर मुकुट की शोभा, पीतांबर की आभा और मोहनमाला का सौंदर्य, उनके दिव्य स्वरूप को और भी अनुपम बना देता है। उनके हाथ की लकुटिया और अधरों पर रखी बँसुरी, संपूर्ण ब्रजभूमि को आनंदित कर देती है। कंबल ओढ़े उनका सहज-सरल रूप बताता है कि वे ब्रज के बालकों की तरह निश्छल प्रेम से ओत-प्रोत हैं।

गउओं की रक्षा करने वाले श्रीकृष्णजी, माखनचोरी से बालसुलभ चंचलता और हास्य उत्पन्न करते हैं, जिससे ब्रजबालाएँ उनसे रुष्ट होने का नाटक करती हैं। वृन्दावन की कुंज गलियों में उनकी चपलता और नटखटपन देखते ही बनता है।

कालिय नाग के दंभ को ध्वस्त कर उन्होंने धर्म का संदेश दिया—अन्याय और अहंकार का नाश निश्चित है। फन के ऊपर उनका नृत्य केवल एक चमत्कार नहीं, बल्कि यह संकेत है कि दुष्टता कितनी भी प्रबल क्यों न हो, ईश्वरीय कृपा से न्याय की विजय होती है।

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