अरे वह पनघट पे बटमार गुजरिया

अरे वह पनघट पे बटमार गुजरिया जादू कर गई रे

अरे वह पनघट पे बटमार गुजरिया जादू कर गई रे |
चित में वह चितवन चुभा और बाँकी भौंह मरोड़
वह चितई चितवन चुभा और संग में भौंह मरोड़
इठला के शरमाय के वह मुसकाई मुँह मोड़
कलेजे बिजली गिर गई रे, हिया पे बिजली गिर गई रे ||
गुजरिया जादू -----
अरे वह पनघट पे ---------------------
जमुना में गागर ड़ुबा और इधर-उधर को झाँक
मेरा मन हर ले गई, अरे मेरा मन हर ले गई
और दे गई नहीं छटाँक, लूट पनिहारी कर गई रे ||
गुजरिया -----
अरे वह पनघट पे -----------------
गुण गरवीली गोरकी, अरे कुछ गरवीली गूजरी
और कुछ गागर में भार, अरे कुछ गागर में भार
झीनी कटि लट-लट करे, अरे पतली कमर लचपच करे
हे राम लगाना पार, भँवर में नैया पड़ गई रे ||
गुजरिया जादू -----

अरे वह पनघट पे -----------------
नील वरन यमुना इधर, और उधर वो गोरी नार
नीला रंग यमुना इधर, और उधर वो गोरी नार
कंचन कलसा शीश पर, अरे कंचन कलसा शीश पर
लो बनी त्रिवेणी धार, रूप की परवी पड़ गई रे ||
गुजरिया जादू -----
अरे वह पनघट पे ---------------

शब्दार्थ : बटमार = राह चलते को लूटने वाला, छटाँक = लगभग 64 ग्राम 

महामंत्र | RADHA KRISHNA MAHAMANTRA | MANTRA FOR HAPPINESS AND PROSPERITY | BY SHRI RADHAPRIYA JI |

भजन में शृंगार और चंचलता की अनुभूति एक अनोखे रंग में प्रस्तुत होती है। पनघट पर एक क्षणिक दृष्टि का प्रभाव मन को चमत्कृत कर देता है, मानो कोई अलौकिक आकर्षण एक पल में सारा ध्यान खींच लेता है।

वह बाँकी चितवन और भौंहों की मरोड़ केवल रूप का जादू नहीं, बल्कि प्रेम की चपलता और अनायास उत्पन्न होने वाली भावनाओं का संकेत है। मन का सरलतम रूप उस एक दृष्टि में समर्पित हो जाता है, और हृदय पर मानो कोई बिजली गिर जाती है। यह क्षणिक मोह नहीं, बल्कि सौंदर्य की अद्भुत अनुभूति है, जो आत्मा को तक आंदोलित कर देती है।

पनघट पर घटित यह मिलन केवल एक संयोग नहीं, बल्कि युगों-युगों से प्रेम और भक्ति में घुली हुई भारतीय परंपरा का अभिन्न स्वरूप है। नील वर्ण यमुना और गोरी नार का मेल त्रिवेणी की धारा सा प्रतीत होता है—जहाँ भक्ति, प्रेम और सौंदर्य एक साथ बहते हैं।

Voice: Shri Radhapriya, Rama devi ji & Chorus

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