इकली घेरी बन में आय लिरिक्स Ekali Gheri Ban Me Aay Lyrics
इकली घेरी बन में आय लिरिक्स Ekali Gheri Ban Me Aay Lyrics, Krishna Bhajan Lyrics Hindi
इकली घेरी बन में आय श्याम तूने कैसी ठानी रे |
श्याम मुझे वृन्दावन जाना
लौट कर बरसाने आना
हाथ जोड़ूँ मानो कहना
जो मुझे हो जाए देर,
लड़े द्योरानी-जिठानी रे ||
इकली घेरी -----
ग्वालिनी मैं समझाऊँ तुझे
दान तू दधि का दे जा मुझे
तभी ग्वालिन जाने दूँ तुझे
जो तू नहीं माने तो
होगी ऐंचातानी रे ||
इकली घेरी -----
दान मैंने कभी नहीं दीना
रोक मेरा मारग क्यों लीना
बहुत सा ऊधम तुम कीन्हा
आज तलक इस ब्रज में
ऐसा हुआ न सानी रे ||
इकली घेरी -----
ग्वालिनी बातें रही बनाय
ग्वाल-बालों को लूँ मैं बुलाय
तेरा सब दधि-माखन लुट जाय
इठला ले तू भले,
चले-न तेरी मनमानी रे ||
इकली घेरी -----
कंस राजा से करूँ गुहार
बँधा के फिर लगवाऊँ मार
तेरी ठकुराई देऊँ निकार
जुल्मी फिर तू डरे,
हरे ना नार बिरानी रे ||
इकली घेरी -----
कंस क्या बलम लगे तेरा
वो चूहा क्या कर ले मेरा
गर कभी उसको जा घेरा
कर दूँगा निर्वंश,
मिटा दूँ नाम-निशानी रे ||
इकली घेरी -----
आ गए इतने में सब ग्वाल
पड़े नैनों में डोरे लाल
झूम के चले अदा की चाल
लुट गया माखन मारग में,
घर गई खिसियानी रे ||
इकली घेरी -----
करें लीला जो राधेश्याम
कौन कर सके बखान तमाम
जाऊँ बलिहार धन्य ब्रजधाम
कहते सारे ग्वाल,
नन्द का है सैलानी रे ||
इकली घेरी -----
श्याम मुझे वृन्दावन जाना
लौट कर बरसाने आना
हाथ जोड़ूँ मानो कहना
जो मुझे हो जाए देर,
लड़े द्योरानी-जिठानी रे ||
इकली घेरी -----
ग्वालिनी मैं समझाऊँ तुझे
दान तू दधि का दे जा मुझे
तभी ग्वालिन जाने दूँ तुझे
जो तू नहीं माने तो
होगी ऐंचातानी रे ||
इकली घेरी -----
दान मैंने कभी नहीं दीना
रोक मेरा मारग क्यों लीना
बहुत सा ऊधम तुम कीन्हा
आज तलक इस ब्रज में
ऐसा हुआ न सानी रे ||
इकली घेरी -----
ग्वालिनी बातें रही बनाय
ग्वाल-बालों को लूँ मैं बुलाय
तेरा सब दधि-माखन लुट जाय
इठला ले तू भले,
चले-न तेरी मनमानी रे ||
इकली घेरी -----
कंस राजा से करूँ गुहार
बँधा के फिर लगवाऊँ मार
तेरी ठकुराई देऊँ निकार
जुल्मी फिर तू डरे,
हरे ना नार बिरानी रे ||
इकली घेरी -----
कंस क्या बलम लगे तेरा
वो चूहा क्या कर ले मेरा
गर कभी उसको जा घेरा
कर दूँगा निर्वंश,
मिटा दूँ नाम-निशानी रे ||
इकली घेरी -----
आ गए इतने में सब ग्वाल
पड़े नैनों में डोरे लाल
झूम के चले अदा की चाल
लुट गया माखन मारग में,
घर गई खिसियानी रे ||
इकली घेरी -----
करें लीला जो राधेश्याम
कौन कर सके बखान तमाम
जाऊँ बलिहार धन्य ब्रजधाम
कहते सारे ग्वाल,
नन्द का है सैलानी रे ||
इकली घेरी -----
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Nice
अति सुन्दरम्।