हम सब आये तेरे द्वार साईं बेड़ा भजन

हम सब आये तेरे द्वार साईं बेड़ा पार कर दो भजन

शिरडी के साईं बाबा भारत की समृद्ध संत परंपरा में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उनकी अधिकांश उत्पत्ति और जीवन अज्ञात है, लेकिन वह हिंदू और मुस्लिम दोनों भक्तों द्वारा आत्म-साक्षात्कार और पूर्णता के अवतार के रूप में साई को स्वीकारते हैं। भले ही साईं बाबा ने अपने व्यक्तिगत व्यवहार में मुस्लिम प्रार्थनाओं और प्रथाओं का पालन किया, लेकिन वे खुले तौर पर किसी भी धर्म के कट्टरपंथी व्यवहार से घृणा करते थे। इसके बजाय, प्रेम और न्याय के संदेशों के माध्यम से, वह मानव जाति के जागरण में विश्वास करते थे।
 
सत्संग मे तेरे जो कोई आता,
खाली झोली भर ले जाता,
साई बड़े दातार, साईं बेड़ा पार करदो ॥

तेरे दर पर आ बेठे है, प्रीत तुझी से कर बेठे है,
सुनलो मेरी पुकार साईं बेड़ा पार करदो ॥

हाथ दया का सिर पर रख दो, एक ही काम हमारा करदो,
नैया लगा दो पार साईं बेड़ा पार करदो ॥

शिर्डि वाले साई हो दाता हम गरीबो के भाग्य विधाता,
भरो हमारे भण्ड़ार साईं बेड़ा पार करदो ॥

साई नाम तो सबसे बड़ा है आके बालक द्वार खड़ा है,
गाये भजन तुम्हार साईं बेड़ा पार करदो ॥


सुंदर भजन में साईं बाबा के प्रति अटूट विश्वास और समर्पण का उद्गार गूंजता है। यह भाव उस आत्मा की पुकार को दर्शाता है, जो साईं के चरणों में शरण मांगती है, जैसे पथिक थककर विश्राम की छांव तलाशता है। साईं का दर ऐसा सागर है, जहां हर कोई अपनी झोली खाली लाता है, पर कृपा का खजाना पाकर लौटता है। यह विश्वास मन को बल देता है कि साईं की दया हर कमी को पूरा करती है।

साईं के दर पर बैठकर मन उनकी प्रीत में रम जाता है। यह पुकार केवल शब्दों की नहीं, बल्कि हृदय की गहराई से निकली वह प्रार्थना है, जो जीवन की नैया को भवसागर से पार लगाने की याचना करती है। जैसे नन्हा बालक माता के आंचल में सुख पाता है, वैसे ही भक्त साईं की शरण में अपने दुखों का अंत खोजता है।

साईं की दया का हाथ सिर पर हो, तो हर असंभव कार्य संभव हो जाता है। यह प्रार्थना उस एकमात्र काम की है—जीवन को साईं के प्रेम और कृपा से जोड़ देना। शिर्डी के साईं को गरीबों का भाग्य बदलने वाला माना जाता है, जो भक्तों के जीवन को आशीर्वाद से भर देते हैं। उनका नाम ही सबसे बड़ा मंत्र है, जो मन को शांति देता है।
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