श्री कालीमाता की आरती जाने महत्त्व

श्री कालीमाता की आरती जाने महत्त्व

श्री कालीमाता की आरती और उनका महत्व
श्री कालीमाता हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें शक्ति और आसुरी शक्तियों के विनाश की देवी माना जाता है। कालीमाता का रूप भयंकर होता है, और उन्हें कई नामों से जाना जाता है, जैसे दुर्गा, भद्रकाली, चंडिका और काली। वह अक्सर काले रंग की साड़ी में, हाथों में खप्पर, तलवार और अग्नि लिए हुए दिखाई देती हैं। खप्पर का उपयोग वह अमृत पिलाने के लिए, तलवार का इस्तेमाल असुरों का वध करने के लिए और अग्नि का उपयोग दुष्टों को नष्ट करने के लिए करती हैं। उनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में शक्ति व सुरक्षा का वास होता है।

कालीमाता की आरती
श्री काली माता की आरती का पाठ विशेष रूप से उन्हें प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस आरती में काली माता की महिमा का वर्णन किया जाता है और उनसे सुरक्षा, शक्ति और शांति की प्रार्थना की जाती है। यह आरती न केवल मन की शांति देती है, बल्कि जीवन में आ रही समस्याओं को भी दूर करती है।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेट करे.
सुन जगदम्बा न कर विलम्बा, संतन के भडांर भरे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ।।
बुद्धि विधाता तू जग माता, मेरा कारज सिद्व करे।
चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे
जब जब भीड पडी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे ।। संतन.....
गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरूणी रूप अनूप धरे.
माता होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे
शुक्र सुखदाई सदा सहाई संत खडे जयकार करे ।। संतन...
ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये भेट तेरे द्वार खडे.
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे
शुम्भ निशुम्भ को क्षण मे मारे ,महिषासुर को पकड दले ।।
आदित वारी आदि भवानी, जन अपने का कष्ट हरे ।। संतन...
कुपित होकर दानव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे
जब तुम देखो दया रूप हो, पल मे सकंट दूर करे
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे ।। संतन...
सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन मे राज्य करे
दर्शन पावे मंगल गावे, सिद्ध साधन तेरी भेट धरे ।। संतन...
ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चॅवर कुबेर डुलाया करे
जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन मे राज्य करे।।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे।।
 
जगदंबा, काली माता, भक्तों की हर पुकार सुनकर संकट हरने वाली, सदा सुख-समृद्धि देती हैं। पान, सुपारी, नारियल, ध्वजा चढ़ाकर भक्त उनकी शरण में आते हैं, और माता तुरंत कृपा बरसाती हैं। बुद्धि और विधान की दात्री, वे हर कार्य सिद्ध करती हैं। जब-जब भक्त पर विपदा आती है, माता सहारा बनकर साथ देती हैं। उनके गुरु-रूप ने सृष्टि को मोहा, माता होकर पुत्र को पालती, पत्नी होकर प्रेम देती हैं। खड्ग, खप्पर, त्रिशूल धारण कर रक्तबीज, शुम्भ, निशुम्भ, महिषासुर जैसे दानवों का नाश करती हैं, पर दया-रूप में भक्तों का कष्ट पल में मिटाती हैं। आदि भवानी, सात बार गाई महिमा भी उनके गुणों का पूर्ण बखान नहीं कर पाती। सिंह पर सवार, अटल भवन में राज करती माता के दर्शन से मंगल होता है। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इंद्र, कृष्ण उनके द्वार पर भक्ति करते हैं। माता का सौम्य स्वभाव भक्तों की अर्ज स्वीकार करता है, और सदा कल्याण करता है।


श्री कालीमाता हिंदू धर्म में एक देवी हैं, जो शक्ति, आसुरी शक्तियों के विनाश, और दुष्टों के दमन की देवी हैं। उन्हें दुर्गा, भद्रकाली, चंडिका, और काली आदि नामों से भी जाना जाता है। कालीमाता को अक्सर एक भयंकर रूप में चित्रित किया जाता है, जो एक काले रंग की साड़ी पहनती हैं और उनके हाथ में खप्पर, तलवार, और अग्नि होती हैं। खप्पर का उपयोग वे अमृत को पिलाने के लिए करते हैं, तलवार का उपयोग वे असुरों का वध करने के लिए करते हैं, और अग्नि का उपयोग वे दुष्टों को भगाने के लिए करते हैं।
 
यह आरती माँ काली की दिव्य महिमा और उनकी कृपा को उजागर करती है। माँ काली केवल संहार की देवी नहीं, बल्कि करुणा, रक्षा और शक्ति की आधारशिला भी हैं। उनकी कृपा से भक्तों का कल्याण होता है, और वे विपत्तियों का नाश करके अपने श्रद्धालुओं को सुख-शांति प्रदान करती हैं।

भक्तों का यह आह्वान माँ से कृपा की याचना करता है—जब भी जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, जब संकटों की घड़ियाँ आती हैं, तब माँ अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। वे ब्रह्मा, विष्णु, महेश की आराध्य हैं, और उनकी शक्ति से समस्त दानवों का नाश होता है, जिससे धर्म और सत्य की रक्षा होती है।

माँ काली का सिंह पर विराजमान स्वरूप, उनके हाथों में त्रिशूल, खड्ग, और खप्पर, सभी यह दर्शाते हैं कि वे केवल संहार के लिए नहीं, बल्कि सृष्टि के संतुलन और भक्तों के कल्याण हेतु सदा जागृत रहती हैं। यह आरती माँ के सात्विक और उग्र दोनों रूपों को प्रकट करती है—जहाँ वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं, वहीं वे अधर्म और अन्याय का अंत भी करती हैं।

जो भी श्रद्धा और प्रेम से माँ की आराधना करता है, उसे उनकी कृपा से जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है। उनकी भक्ति से आत्मा को वह शक्ति मिलती है, जो किसी भी संकट को पार कर सकती है। माँ काली की महिमा अनंत है, और उनका स्मरण सदा जीवन को मंगलमय बनाता है।
Next Post Previous Post