जो हारा सांवरे जग से तू हारे का सहारा

जो हारा सांवरे जग से तू हारे का सहारा भजन

जो हारा सांवरे जग से तू हारे का सहारा है,
मेरी इस डूबती नैया का तू ही तो किनारा है,
ज़माने ने है ठुकराया संभालो सँवारे मोहन,
है माझी तू ही तो सबका तू ही सब का किनारा है,
जो हारा सांवरे जग से तू हारे का सहारा है

सुनी है सँवारे तेरी बड़ी महिमा ये भारी है,
ओ मेरे शीश के दानी ये माने दुनिया सारी है,
तुझे तो सांवरे इस सारे ही कलयुग ने पूजा है,
मेरे घनश्याम सा दुनिया में ना कोई देव दूजा है,
कदम तुम जो बढ़ाये जो ये दौड़ा आएगा झट से,
मेरे घनश्याम ने पापी पापी को भी तारा है,
जो हारा सांवरे जग से तू हारे का सहारा है

जो दिल में आस लेकर के श्याम बाबा पे जाएगा,
वो रोता जायेगा दर पे मगर हस्ता वो आयेगा,
ये काटे पाप सब के करता है दूर अंधेरो को,
करे गा मुक्त बंधन से जन्म मरणो के फेरो को,
बना ले श्याम से रिश्ता है दीपक सूफी तू पागल,
बने जो श्याम का पागल मेरे बाबा का प्यारा है,
जो हारा सांवरे जग से तू हारे का सहारा है


जो हारा सांवरे जग से तू हारे का सहारा है | खाटू श्याम भजन | by दीपक सूफी

सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की कृपा और उनकी करुणा की गहराई उजागर होती है। जीवन के संघर्षों से हारा हुआ मन जब प्रभु की शरण में आता है, तब वह न केवल संबल पाता है, बल्कि अपने सारे कष्टों से मुक्त भी हो जाता है। यह भजन बताता है कि जब संसार ठुकरा देता है, जब कोई साथ नहीं देता, तब श्रीकृष्णजी का प्रेम ही वह किनारा है, जो हर डूबती नैया को पार कराता है।

यह भाव दर्शाता है कि श्रीकृष्णजी केवल भक्तों के उद्धारक ही नहीं, बल्कि उनके लिए जीवन का आधार भी हैं। उनका स्मरण अंधकार को मिटाने वाली दिव्य रोशनी है, जो जीवन में शांति और आनंद का संचार करती है। जब भक्त उनके चरणों में श्रद्धा से आता है, तब हर पाप स्वतः समाप्त हो जाता है, और वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर सच्चे आनंद का अनुभव करता है।

भजन यह भी प्रकट करता है कि श्रीकृष्णजी का प्रेम सीमाओं से परे है—वे केवल भक्तों की प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं देते, बल्कि उन्हें अपने दिव्य प्रेम में समाहित कर लेते हैं। उनकी शरण में आने वाले को केवल मानसिक शांति ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त होती है।

यह भजन आत्मसमर्पण का एक अद्भुत उदाहरण है—जब भक्त सच्चे हृदय से श्रीकृष्णजी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करता है, तब वह अपने जीवन को सार्थक बना लेता है। प्रभु की कृपा से जो उनके प्रेम में पूर्णतः रंग जाता है, वही सच्चे सुख और शांति को प्राप्त करता है।

भजन का सार यही है—श्रीकृष्णजी की शरण में जाने वाला व्यक्ति हर दुःख से मुक्त होकर अनंत शांति और आनंद का अनुभव करता है।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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