हे री माई मेरा खाटू वाला राखे सब की लाज

हे री माई मेरा खाटू वाला राखे सब की लाज

हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज
बैर करे न कभी किसी से,
बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।

जिस दिन से मैं हुआ श्यामकारी बदले है दिन रात मेरे,
हर पल यही मांगू दुआ री करता राहु दर के फेरे,
यु ही सजे रहे श्याम की धुन में मेरे कल और आज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।

चलके जरा तू देख तो माँ एक बारी मेरे कहे से,
खाली नहीं लौटा कोई भी आके बाबा जी के दर से,
भक्ति भाव की बात जरा सी दुनिया समझे राज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।

जब भी कभी दुखयारी दिल की आहे मुझे दे सुनाई,
उस पल मुझे माँ बाबा की सूरत देती वह पे दिखाई,
कहे बलजीत ये बाबा मेरे सिर का हो गया ताज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज। 
 

 सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की असीम करुणा और उनकी शरण में मिलने वाले सच्चे आश्रय का भाव प्रकट होता है। जब मनुष्य सांसारिक कठिनाइयों से घिर जाता है, जब कोई संबल नहीं दिखता, तब केवल श्रीकृष्णजी की कृपा ही वास्तविक सहारा बनती है। उनकी शरण में आकर जीवन की हर विपदा हल्की हो जाती है, और भक्त के हृदय में श्रद्धा और शांति का संचार होता है।

यह भजन मन को प्रेरित करता है कि श्रीकृष्णजी सदा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उनकी कृपा बिना किसी भेदभाव के बरसती है—वे बैर नहीं रखते, वे प्रेम और दया का स्वरूप हैं। जीवन में जो भी अवरोध आता है, जो भी बाधा उत्पन्न होती है, वह केवल उनकी कृपा से ही समाप्त हो सकती है। जब व्यक्ति सच्चे भाव से उनकी भक्ति करता है, तब प्रभु स्वयं उसके जीवन को संवारते हैं।

उनकी चौखट पर आकर कोई खाली हाथ नहीं लौटता। श्रीकृष्णजी की कृपा से जीवन के संकटकाल भी आनंद में परिवर्तित हो जाते हैं। उनका प्रेम मात्र किसी एक भक्त तक सीमित नहीं, बल्कि समस्त जगत के लिए है। जो भी उनकी शरण में आता है, वह सच्चे सुख और शांति को प्राप्त करता है।

यह भजन आत्मसमर्पण की भावना को जागृत करता है—जो भी श्रीकृष्णजी के चरणों में स्वयं को समर्पित करता है, वह जीवन की हर मुश्किल को पार कर सकता है। प्रभु की कृपा से ही वास्तविक उन्नति होती है, और उनकी शरण में ही सच्चा आनंद और संतोष मिलता है।

इस भजन का सार यही है—श्रीकृष्णजी का नाम ही सच्चा आधार है। उनकी कृपा से ही जीवन की कठिनाइयाँ हल्की होती हैं, और उनकी भक्ति में ही जीवन का वास्तविक सुख और शांति निहित है।

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