मत घबरा मन बावरे श्याम तेरा रखवाला
मत घबरा मन बावरे श्याम तेरा रखवाला
मत घबरा मन बावरे श्याम तेरा रखवाला,है श्याम तेरा रखवाला,
साथ तुम्हारा कभी न छोड़े बाबा खाटू वाला,
करे किरपा जब संवारा सब संकट कट जाये,
आग लगी चहु और हो तुझपर आंच ना आये,
करुणा की वर्षा जब होती क्या कर सकती ज्वाला,
मत घबरा मन बावरे श्याम तेरा रखवाला
जग वाले मुँह मोड़ ले दुश्मन बने ज़माना,
ये तू निष्ये जान ले निर्बल का बल कान्हा,
तूफानों में दीपक जलता कौन भुजाने वाले,
मत घबरा मन बावरे श्याम तेरा रखवाला
श्याम प्रभु के हाथ में तेरी जीवन डोरी,
करना है सो ये करे तू मत कर सिर फोड़ी,
भले भूरे का पूरा ठेका सब इसको दे डाला,
मत घबरा मन बावरे श्याम तेरा रखवाला
तू कमजोर नहीं है तेरे साथ कन्हियाँ,
तेरे ऊपर पड़ रही मोर मुकुट की छइयाँ,
बिन्नू इस शीतल छइयां में फेरे श्याम की माला,
मत घबरा मन बावरे श्याम तेरा रखवाला
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की कृपा और उनकी शरण में मिलने वाले आश्रय का भाव उजागर होता है। यह अनुभूति प्रकट होती है कि जीवन के संघर्ष चाहे जितने भी कठिन क्यों न हों, जब भक्त प्रभु की शरण में आता है, तब वह निर्भय हो जाता है।
यह भजन मन को संबल प्रदान करता है—जब संकट चारों ओर से घेर लेते हैं, जब अग्नि की लपटों के समान समस्याएँ आ जाती हैं, तब प्रभु की करुणा वह वर्षा बन जाती है, जो हर पीड़ा को शीतलता प्रदान करती है। यह उनकी असीम कृपा का प्रत्यक्ष स्वरूप है, जो भक्त के हृदय को आश्वस्त करता है।
संसार की परिस्थितियाँ कभी प्रतिकूल होती हैं, लोग मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन जो व्यक्ति श्रीकृष्णजी की कृपा को पहचानता है, वह जानता है कि जीवन का वास्तविक बल उन्हीं के चरणों में है। तूफानों के बीच भी दीपक जलता रहता है, क्योंकि प्रभु की कृपा सदा उसके साथ होती है।
यह भजन भक्त को आत्मविश्वास से भर देता है—कृष्णजी के हाथों में जीवन की डोर है, और वह सदा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। जब कोई उनकी शरण में आता है, तब उसे हर मुश्किल से पार करने की शक्ति प्राप्त होती है।
इस भजन का सार यही है—डगमगाने की आवश्यकता नहीं है, संशय से घिरने की कोई जरूरत नहीं है। जब श्रीकृष्णजी की शरण में सच्चे भाव से स्थान मिलता है, तब हर संकट केवल एक मार्ग बन जाता है, जो अंततः भक्त को सच्चे आनंद की ओर ले जाता है।
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