एक बार आजा दादी तुझको निहार

एक बार आजा दादी तुझको निहार

(मुखड़ा)
एक बार आजा दादी,
तुझको निहार ल्यूं,
मनड़े में, दादी थारी,
मूरत उतार ल्यूं,
एक बार आजा रे।।

(अंतरा)
अब तो बता दे कांई,
दोष है मेरो,
सामने खड़्यो है, दादी,
अपराधी तेरो,
चरणा ने आगे कर दे,
आँसू से पखार ल्यूं,
मनड़े में, दादी थारी,
मूरत उतार ल्यूं,
एक बार आजा रे।।


बतियाँ बनावे म्हारी,
दुनिया दीवानी,
कालजे री पीड़ा म्हारी,
कोई ना पछानी,
मन को गुबार, दादी,
कहे तो उतार ल्यूं,
मनड़े में, दादी थारी,
मूरत उतार ल्यूं,
एक बार आजा रे।।

अनजान रस्तो,
छायो अँधियारो,
थारे बिना, दादी, म्हारो,
कोई ना सहारो,
ज्योति को उजालो दे दे,
राह निहार ल्यूं,
मनड़े में, दादी थारी,
मूरत उतार ल्यूं,
एक बार आजा रे।।

‘मगन’ तिहारो, दादी,
काई तो विचारो,
निर्मोही, दादी म्हारी,
ओर तो निहारो,
चरणा की धूल दे दे,
मैं पलका से बुहार ल्यूं,
मनड़े में, दादी थारी,
मूरत उतार ल्यूं,
एक बार आजा रे।।

(पुनरावृत्ति)
एक बार आजा दादी,
तुझको निहार ल्यूं,
मनड़े में, दादी थारी,
मूरत उतार ल्यूं,
एक बार आजा रे।।


Ek Baar Aaja Dadi || Surbhi Chaturvedi || एक बार आजा दादी || Latest Dadi Rani Sati Bhajan 2022

Title :-  Ek Baar Aaja Dadi
Singer:-  Surbhi Chaturvedi
Lyrics :- Magan ji
Music & Studio :- Lakhdatar 

भक्ति की यह पुकार आत्मा की गहराइयों से उठती है। यहाँ केवल आह्वान नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण का वह स्वर है, जो भक्त को पूर्णता में माँ की छवि से जोड़ देता है। जब मन व्याकुल होता है, जब दुःख अपनी सीमा पार कर जाता है, तब यह पुकार अपने चरम पर पहुँच जाती है। यह कोई साधारण विनती नहीं, बल्कि वह भाव है जिसमें आत्मा अपने संपूर्ण अस्तित्व को माँ के चरणों में समर्पित कर देना चाहती है।

माँ के बिना जीवन में अंधेरा है, राहें अनजान हैं, और कोई सहारा नहीं। जब भक्त अपनी वेदना व्यक्त करता है, तब उसमें केवल दुःख नहीं होता, बल्कि एक अटूट विश्वास भी समाहित होता है। यह विश्वास बताता है कि माँ केवल सुनने वाली नहीं, वह अपनी कृपा से हर पीड़ा को मिटाने वाली हैं। यह भाव स्वयं को शुद्ध करने, अपने अश्रुओं से चरणों को पखारने और माँ के दर्शन से हृदय को तृप्त करने की तीव्र आकांक्षा को दर्शाता है।

भक्त का प्रेम यहाँ केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण अस्तित्व तक फैला हुआ है। जब वह माँ की चरण-धूल को पलकों से बुहारना चाहता है, तब वह अपने अहं को पूर्ण रूप से त्यागकर आत्मा की शुद्धता को स्वीकार करता है। यही वह अवस्था है, जहाँ भक्ति केवल याचना नहीं रहती, बल्कि एक गहरा आत्मिक संबंध बन जाती है। माँ की ज्योति ही जीवन का मार्गदर्शन है, जो अंधकार को मिटाकर प्रकाश की ओर ले जाती है। यही भक्ति का सर्वोच्च अनुभव है—जहाँ केवल प्रेम, श्रद्धा और माँ की अनंत कृपा ही शेष रहती है।

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