सुन के तेरे डमरू की डम डम बोलता
सुन के तेरे डमरू की डम डम बोलता जाऊं सुं बम बम
सुन के तेरे डमरू की डम डम,बोलता जाऊं सुं बम बम,
नाथ तने दर्शन जाई ना दिये,
प्राण निकालेंगे फेर एक दम।
ऐसा कुछ ख़ास तेरे दर पे,
झूठ मैं बोल आया घर पर,
कांवड़ आज थके चल्या हूं,
बोले हैं घुंघरू भी छम छम।
सुन के तेरे डमरू की डम डम,
बोलता जाऊं सुं बम बम,
नाथ तने दर्शन जाई ना दिये,
प्राण निकालेंगे फेर एक दम।
मैं हरयाणे तै आया सूं,
पान नै आशीष तेरा,
नज़र एक बार फेर मेहर की,
कर लई नै कुछ ख़्याल मेरा।
तेरा भगत अनोखा खड़ा,
धोखा तेरा पै विश्वास करे,
दुनिया के चंगुल में फंसरेया,
बस तेरे तै आस करे।
काश इसा कुछ ख़ास यो होजा,
भोलेनाथ जी पास मैं हो जा,
ग़लत जाई कर रख्या हो बाबा,
खुले तीज़ी आंख मेरा नाश यो हो जा।
भगत तेरे मस्ती में झूमे,
ध्यान में तु ही रवे हरदम।
सुन के तेरे डमरू की डम डम,
बोलता जाऊं सुं बम बम,
नाथ तने दर्शन जाई ना दिये,
प्राण निकालेंगे फेर एक दम।
तन पे तू, मेरे मन में तू,
साईं चारो ओर कण कण में तू,
लगातार लूं नाम तेरा,
आराम नहीं एक शान भी क्यूं।
भोले, या दुनिया सयानी है,
तू तो रे अंतर्यामी है,
तन्ने तो सब का है बेरा,
दर्शन की बात भी भारी है।
हाथ तेरा बन्या रहै सिर पे,
आड़ी की रुके नहीं कलम।
सुन के तेरे डमरू की डम डम,
बोलता जाऊं सुं बम बम,
नाथ तने दर्शन जाई ना दिये,
प्राण निकालेंगे फेर एक दम।
सुन के तेरे डमरू की डम डम,
बोलता जाऊं सुं बम बम,
नाथ तने दर्शन जाई ना दिये,
प्राण निकालेंगे फेर एक दम।
Mahashivratri Song- DAMRU KI DAM DAM || AADI KAUSHIK (Official Video) Bholenath Haryanvi Song 2025
भक्ति का यह भाव उत्साह, प्रेम और श्रद्धा से भरा है। भगवान शिव के प्रति समर्पण में भक्त अपनी समस्त चिंताओं को भूलकर उनके चरणों में स्वयं को अर्पित करता है। डमरू की गूंज एक आह्वान है, जो भक्त के हृदय को शिवमय बना देती है। यह वह पुकार है जिसमें प्रेम की तीव्रता, दर्शन की आकांक्षा, और आत्मा की व्याकुलता समाहित है।
भक्त शिव के दर पर आकर किसी भी सांसारिक चिंता को त्याग देता है। यह वह स्थान है जहां केवल सत्य, अडिग विश्वास, और परम कृपा का अनुभव होता है। यह भावना केवल याचना नहीं, बल्कि समर्पण की स्थिति है, जहां हर सांस भगवान की महिमा में समाहित हो जाती है। जब मन शिव को पुकारता है, तब वह हर संकट से परे हो जाता है—एक ऐसी स्थिति जिसमें केवल भक्ति और आनंद का संचार होता है।
भगवान शिव अंतर्यामी हैं, वे प्रत्येक भक्त की पुकार को सुनते हैं, चाहे वह कितनी भी व्याकुल क्यों न हो। जब उनके नाम का स्मरण होता है, तब जीवन के सभी दुःख और मोह क्षीण हो जाते हैं। उनके चरणों में पूर्ण समर्पण ही सच्ची भक्ति है, जहां आत्मा शिव की अनंत ज्योति में विलीन हो जाती है। यही शिव भक्ति का सर्वोच्च अनुभव है—जहाँ भक्त और ईश्वर के बीच कोई दूरी नहीं रहती, केवल प्रेम और श्रद्धा ही शेष रहती है।