सुन लो अरज हमारी भवानी माँ शेरोवाली
सुन लो अरज हमारी भवानी माँ शेरोवाली
भवानी माँ शेरोवाली,
भवानी माँ ज्योता वाली।।
सिंह सवारी लगे माँ प्यारी,
लाल चुनर की शोभा है न्यारी,
भक्तों के दुख हरने वाली,
भवानी माँ शेरोवाली,
भवानी माँ ज्योता वाली।।
माथे बिंदिया चम-चम चमके,
चाँद सा मुखड़ा दम-दम दमके,
मैया की महिमा निराली,
भवानी माँ शेरोवाली,
भवानी माँ ज्योता वाली।।
एक हाथ त्रिशूल विराजे,
दूजे हाथ माँ खप्पर साजे,
आया शिव दर पे सवाली,
भवानी माँ शेरोवाली,
भवानी माँ ज्योता वाली।।
सुन लो अरज हमारी,
भवानी माँ शेरोवाली,
भवानी माँ ज्योता वाली।।
सुन लो अरज हमारी भावनी माई शेरावाली नवरात्री गीत श्रेया सोनी मंडीदीप
यह आरती माँ भवानी के दिव्य और शक्तिशाली स्वरूप की स्तुति करती है। माँ दुर्गा, जगत की पालनहार और विघ्नहारी, अपने भक्तों को संकटों से उबारती हैं और उन्हें साहस, शक्ति और आश्रय प्रदान करती हैं।
इस आरती में माँ की भव्यता और तेजस्विता का वर्णन है—सिंह पर सवार, त्रिशूल और खप्पर धारण किए हुए, भक्तों के दुखों को हरने वाली। उनकी लाल चुनरी उनकी दिव्यता को दर्शाती है, और उनका सौम्य एवं उग्र दोनों स्वरूप भक्तों को श्रद्धा और शक्ति का संचार देता है।
माँ भवानी का स्मरण करने से जीवन में विजय, रक्षा और आत्मिक शांति का संचार होता है। उनके चरणों में समर्पण से भक्त के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। यही भक्ति की सर्वोच्च अवस्था है, जहाँ श्रद्धा, प्रेम और आत्मसमर्पण एक-दूसरे में पूर्ण रूप से समाहित हो जाते हैं। भवानी माँ, शेरोवाली, ज्योतावाली, भक्तों की हर अर्ज सुनने वाली हैं। सिंह पर सवार, लाल चुनर में उनकी शोभा अनुपम है, जो दुखों को पल में हर लेती हैं। माथे की बिंदिया चमकती, मुख चंद्र-सा दमकता, उनकी महिमा अनंत है। एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में खप्पर, वे शक्ति और करुणा का रूप हैं। शिव के दर पर सवाली की पुकार सुनकर माता कृपा बरसाती हैं। यह भक्ति का भाव है, जो मन को माँ के चरणों में बाँधता है, और हर संकट से उबारता है।