अम्बे सारी दुनिया ये तेरी ही तो दीवानी है

अम्बे सारी दुनिया ये तेरी ही तो दीवानी है

(मुखड़ा)
अंबे, सारी दुनिया ये,
तेरी ही तो दीवानी है,
सब कहते हैं, तुम जैसा,
ना कोई भी दानी है।।

(अंतरा)
जो भी मिला है मुझे,
तुझसे ही पाया है,
पावन ये मन मेरा,
निर्मल जो काया है,
तुझसे ही होती माँ,
तुझसे ही होती माँ,
सफल ज़िंदगानी है,
अंबे, सारी दुनिया ये,
तेरी ही तो दीवानी है।।

ऋषियों ने पूजा तुझे,
देवों ने माना है,
महिमा तेरी गाते,
शक्ति को भी जाना है,
अंबर से धरती तक,
अंबर से धरती तक,
तेरी ही कहानी है,
अंबे, सारी दुनिया ये,
तेरी ही तो दीवानी है।।

जिसने पुकारा तुझे,
तूने जीवन संवारा है,
तुझे छोड़ जाऊँ कहाँ,
मेरा तू ही सहारा है,
ममता की तू मैया,
ममता की तू मैया,
एक निर्मल रवानी है,
अंबे, सारी दुनिया ये,
तेरी ही तो दीवानी है।।

(पुनरावृति)
अंबे, सारी दुनिया ये,
तेरी ही तो दीवानी है,
सब कहते हैं, तुम जैसा,
ना कोई भी दानी है।।
 

फिल्मी तर्ज भजन - बाबुल का ये घर |अम्बे सारी दुनिया-Navratra Special ‪@Mukeshmeenabhajan‬

सुन्दर भजन में माँ अंबे की दिव्य महिमा और उनकी असीम कृपा का विस्तार किया गया है। वे सृष्टि की अधिष्ठात्री हैं, संपूर्ण संसार की शक्ति और जीवन का आधार। भक्ति, श्रद्धा और विश्वास का प्रवाह, माँ की दिव्यता को अनुभूत करता है, जिससे प्रत्येक हृदय शीतल और निर्मल हो जाता है।

माँ अंबे की असीम कृपा से जीवन में समस्त बाधाएँ दूर हो जाती हैं। जो भी प्रेम और आस्था से उनकी वंदना करता है, उसे वे संपूर्ण आनंद और विजय प्रदान करती हैं। ऋषियों, देवों और भक्तों ने उनकी शक्ति को न केवल स्वीकार किया बल्कि अनुभव भी किया है। उनका वरदहस्त प्रत्येक जीव के लिए संबल है, जिससे जीवन में सत्य और धर्म की ज्योति प्रज्वलित होती है।

भजन का भाव हमें यह स्मरण कराता है कि माँ अंबे केवल आराधना की देवी नहीं, बल्कि स्नेह, शक्ति और कल्याण की आधारशिला हैं। उनके चरणों में समर्पण करने से जीव की समस्त विघ्न बाधाएँ शांत हो जाती हैं। जब भक्त अपनी समर्पण भावना को जागृत करता है, तब माँ उसे अपनी ममता और दया से आच्छादित कर देती हैं। यही भक्ति का वास्तविक स्वरूप है।

माँ अंबे की महिमा को जो भी श्रद्धा से पुकारता है, उसका जीवन दिव्यता से भर जाता है। उनका सहारा अनंत है, जो भटके हुए मन को स्थिरता प्रदान करता है। वे संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हैं, उनकी शक्ति अंबर से लेकर धरती तक सभी को संचालित करती है। भक्ति और समर्पण के इस भाव में जीवन की सच्ची सुख-शांति निहित है। माँ अंबे की कृपा से साधक को न केवल सांसारिक सुख प्राप्त होता है, बल्कि आध्यात्मिक संतुलन भी स्थापित होता है। यही उनकी कृपा का दिव्य स्वरूप है।

Next Post Previous Post