मनुआ गोविंद गोपाल गाते चलो
मनुआ गोविंद गोपाल गाते चलो
मनुआ गोविंद गोपाल गाते चलोअपनी मुक्ति का मारग बनाते चलो |
दुःख मेँ रोवो मती, सुख मेँ भूलो मती
प्रेम भक्ति के आँसू बहाते चलो | मनुआ .......
लोग कहते कि भगवान सुनते नहीं
दिल की आवाज़ उनको सुनाते नहीं
भक्त प्रहलाद की रट लगाते चलो | मनुआ.....
लोग कहते कि भगवान आते नहीं
द्रोपदी की तरह तुम बुलाते नहीं
टेर गज की सी प्रभु से लगाते चलो | मनुआ ....
लोग कहते कि भगवान खाते नहीं
भीलनी की तरह तुम खिलाते नहीं
साग भक्त विदुर का खिलाते चलो | मनुआ ..
कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो (पूज्य महाराज श्री द्वारा गाया गया सुमधुर भजन)
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति गहरी भक्ति और उनके नाम के जाप की महिमा गूँजती है, जो मन को मुक्ति के मार्ग पर ले जाती है। यह वह आह्वान है, जो हर सुख-दुख में प्रभु का नाम लेने की प्रेरणा देता है। मन को गोविंद गोपाल का गीत गाने की सलाह देता है, जैसे कोई सच्चा राही हर कदम पर प्रभु को याद रखता है। यह विश्वास है कि प्रभु का नाम ही जीवन की हर मुश्किल को आसान बनाता है।
दुख में न रोने और सुख में न भूलने की बात उस संतुलन को दिखाती है, जो भक्ति से आता है। जैसे कोई विद्यार्थी अपने लक्ष्य को पाने के लिए हर परिस्थिति में मेहनत करता है, वैसे ही यहाँ भक्त प्रेम और भक्ति के आँसुओं से अपने हृदय को प्रभु के रंग में रंगता है। यह प्रेम का वह रास्ता है, जो मन को शांति और मुक्ति की ओर ले जाता है।
प्रहलाद की भक्ति, द्रौपदी की पुकार, और गज की टेर का जिक्र उस अटूट विश्वास को दर्शाता है, जो प्रभु को हर पल सुनने और आने वाला मानता है। जैसे कोई चिंतक जीवन की सैर में सच्चाई की राह चुनता है, वैसे ही यहाँ भक्त को प्रभु के नाम की रट लगाने की प्रेरणा मिलती है। यह वह यकीन है, जो कहता है कि सच्चे मन से पुकारने पर प्रभु हर बार साथ देते हैं।