सावण दे रह्या जोरा रे घर आयो लिरिक्स

सावण दे रह्या जोरा रे घर आयो लिरिक्स

सावण दे रह्या जोरा रे घर आयो जी स्याम मोरा रे।।टेक।।
उमड़ घुमड़ चहुँदिस से आया, गरजत है घन घोरा, रे।
दादुर मोर पपीहा बोलै, कोयल, कर रही सोरा रे।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, ज्यों वारूँ सोही थोरा रे।।

(दे रहा जोरा रे=भावनाओं को उद्दीप्त कर रहा है वारूँ=समर्पित करूँ)



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