लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी लिरिक्स
लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी॥टेक॥
रामलक्ष्मण दोनों भीतर। बीचमें सीता प्यारी॥१॥
चलत चलत मोहे छाली पड गये। तुम जीते मैं हारी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारी॥३॥
मीरा बाई के इस भजन में वे भगवान राम, लक्ष्मण और सीता के वनवास के प्रसंग का वर्णन करती हैं। सीता माता लक्ष्मण से कहती हैं, "लक्ष्मण, धीरे चलो, मैं थक गई हूं।" राम और लक्ष्मण आगे चल रहे हैं, और उनके बीच में सीता प्यारी हैं। चलते-चलते सीता के पांव में छाले पड़ गए हैं, वे कहती हैं, "तुम जीत गए, मैं हार गई।" अंत में, मीरा अपने प्रभु गिरिधर नागर (कृष्ण) के चरणकमलों पर बलिहारी जाती हैं, यह दर्शाते हुए कि वे अपने आराध्य के प्रति पूर्ण समर्पित हैं।