लगन का नाँव न लीजै री भोली लिरिक्स Lagan Ka Naav Na Leje
लगन का नाँव न लीजै री भोली ।
लगन लगी कौ पैडो ही न्यारो, पाँव धरत तन छीजै। जै तूं लगन लगाई चावै, तौ सीस की आसन कीजै। लगन लगी जैसे पतंग दीप से, वारि फेर तन दीजै। लगन लगई जैसे मिरघे नाद से, सनमुख होय सिर दीजै।
लगन लगई जैसे चकोर चन्दा से, अगनी भक्षण कीजै। लगन लगी जैसे जल मछीयन से, बिछड़त तनही दीजै। लगन लगी जैसे पुसप भंवर से फूलन बीच रहीजै। मीराँ कहै प्रभु गिरधर नागर, चरण कँबल चित दीजै।।
मीरा बाई के इस भजन में वे अपने सांसारिक जीवन की कठिनाइयों और अपने आराध्य गिरिधर नागर (कृष्ण) के प्रति अटूट भक्ति का वर्णन करती हैं। वे कहती हैं कि उनके जीवन में उलझनें और बाधाएं हैं, जैसे सास और ननद का कठोर व्यवहार, जिन्होंने उनके लिए समस्याएं खड़ी की हैं। रात-दिन उन्हें कष्ट सहना पड़ता है, लेकिन बंसीधर (कृष्ण) ने उनके सभी कार्य सफल कर दिए हैं। अंत में, मीरा अपने प्रभु गिरिधर नागर के चरण कमलों को सिर का ताज मानकर उनकी भक्ति में लीन हो जाती हैं।
Desi Bhajan,meera Bai Bhajan Lyrics Hindi
(लगन=प्रेम, नाँव=नाम, भोली=हे भोली सखी, पैडो=मार्ग, छीजै=क्षीण हो जाता है, चावै=चाहती है, सीस की आसन कीजै=सीस काटकर उस पर अपना आसन लगाना, बारि फेर=चारों और चक्कर लगाकर, तन दीजै=प्राण त्याग लगाना, मिरघे=मृग, नाद= संगीत, अगनी भक्षण कीजै=आग खाता है, पुसप= पुष्प,फूल, भँवर=भौरा)
मीरा की भक्ति : विरह वेदना और अनंत प्रेम की प्रतिक हैं कृष्णा। कृष्णा की प्रेम दीवानी है मीरा की भक्ति जो दैहिक नहीं आध्यात्मिक भक्ति है। मीरा ने अपने भजनों में कृष्ण को अपना पति तक मान लिया है। यह भक्ति और समर्पण की पराकाष्ठा है। मीरा की यह भक्ति उनके बालयकाल से ही थी। मीरा की भक्ति कृष्ण की रंग में रंगी है। मीरा की भक्ति में नारी की पराधीनता की एक कसक है जो भक्ति के रंग में और गहरी हो गयी है। मीरा ने कृष्ण को अपना पति मान लिया और अपना मन और तन कृष्ण को समर्पित कर दिया। मीरा की एक एक भावनाएं भी कृष्ण के रंग में रंगी थी। मीरा पद और रचनाएँ राजस्थानी, ब्रज और गुजराती भाषाओं में मिलते हैं और मीरा के पद हृदय की गहरी पीड़ा, विरहानुभूति और प्रेम की तन्मयता से भरे हुए मीराबाई के पद अनमोल संपत्ति हैं। मीरा के पदों में अहम् को समाप्त करके स्वयं को ईश्वर के प्रति पूर्णतया मिलाप है। कृष्ण के प्रति उनका इतना समर्पण है की संसार की समस्त शक्तियां उसे विचलित नहीं कर सकती है। मीरा की कृष्ण भक्ति एक मिशाल है जो स्त्री प्रधान भक्ति भावना का उद्वेलित रूप है।
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