लागी मोहिं नाम खुमारी हो लिरिक्स

लागी मोहिं नाम खुमारी हो लिरिक्स

लागी मोहिं नाम-खुमारी हो॥
रिमझिम बरसै मेहड़ा भीजै तन सारी हो।
चहुंदिस दमकै दामणी गरजै घन भारी हो॥
सतगुर भेद बताया खोली भरम-किंवारी हो।
सब घट दीसै आतमा सबहीसूं न्यारी हो॥
दीपग जोऊं ग्यानका चढूं अगम अटारी हो।
मीरा दासी रामकी इमरत बलिहारी हो॥

मीरा बाई के इस भजन में वे कहती हैं कि मुझे राम-नाम का ऐसा नशा चढ़ा है, जो मेरे तन-मन को भिगो रहा है। जैसे रिमझिम बारिश में सारा शरीर भीग जाता है, वैसे ही राम-नाम की खुमारी ने मुझे सराबोर कर दिया है। चारों ओर बिजली चमक रही है और भारी बादल गरज रहे हैं, लेकिन मेरे भीतर राम-नाम की मधुर ध्वनि गूंज रही है। सतगुरु ने मेरे भ्रम के किवाड़ खोलकर सत्य का ज्ञान कराया है, जिससे अब हर हृदय में आत्मा का दर्शन हो रहा है, जो सबसे अलग और विशेष है। मैं ज्ञान का दीपक जलाकर उस अगम (दुर्गम) अटारी (ऊंचे स्थान) पर चढ़ रही हूं, जहां आत्मज्ञान की रोशनी फैली है। मीरा, जो राम की दासी है, कहती हैं कि मैं इस अमृतमय नाम पर बलिहारी जाती हूं।
 
(खुमारी=हल्का नशा, मेहड़ा=मेघ, सारी= सारा अंग,साड़ी, भरम-किंवारी=भ्रांतिरूपी किवाड़, दीपग=दीपक, जोऊं=जलाती हूं, अटारी=ऊंचा स्थान,परमपद, इमरत=अमृत)
 
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