कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे मीरा बाई पदावली
कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे
कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे॥टेक॥
छोड कनैया ओढणी हमारी। माट महिकी काना मेरी फुटे॥१॥
छोड कनैया मैयां हमारी। लड मानूकी काना मेरी तूटे॥२॥
छोडदे कनैया चीर हमारो। कोर जरीकी काना मेरी छुटे॥३॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। लागी लगन काना मेरी नव छूटे॥४॥
"कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे" मीरा बाई का एक प्रसिद्ध पद है, जिसमें वे भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपनी गहरी तड़प और प्रेम को व्यक्त करती हैं। इस पद में मीरा बाई भगवान से कहती हैं कि वे उनका चीर (वस्त्र) छीन रहे हैं, उनकी चोटी (बाल) खोल रहे हैं, उनकी ओढ़नी (चादर) छीन रहे हैं, और उनकी माँ (माँ) को भी उनसे दूर कर रहे हैं। वे कहती हैं कि अब उनका क्या होगा, क्योंकि वे भगवान के बिना कुछ भी नहीं हैं। अंत में, मीरा बाई भगवान से कहती हैं कि वे कब मिलेंगे, क्योंकि वे उनकी दासी बन चुकी हैं।