जल भरन कैशी जाऊं रे लिरिक्स Jal Bharan Kaise Jaau Re Lyrics

जल भरन कैशी जाऊंरे लिरिक्स Jal Bharan Kaise Jaau Re Lyrics मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics

 
जल भरन कैशी जाऊं रे लिरिक्स Jal Bharan Kaise Jaau Re Lyrics

जल भरन कैशी जाऊं रे
जल भरन कैशी जाऊं रे। जशोदा जल भरन॥टेक॥
वाटेने घाटे पाणी मागे मारग मैं कैशी पाऊं॥१॥
 आलीकोर गंगा पलीकोर जमुना। बिचमें सरस्वतीमें नहावूं॥२॥
ब्रिंदावनमें रास रच्चा है। नृत्य करत मन भावूं॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हेते हरिगुण गाऊं॥४॥

हरि गुन गावत नाचूंगी॥
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥१॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥३॥

तो सांवरे के रंग राची।
साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू, लोक-लाज तजि नाची।।
गई कुमति, लई साधुकी संगति, भगत, रूप भै सांची।
गाय गाय हरिके गुण निस दिन, कालब्यालसूँ बांची।।
उण बिन सब जग खारो लागत, और बात सब कांची।
मीरा श्रीगिरधरन लालसूँ, भगति रसीली जांची।।

अपनी गरज हो मिटी सावरे हम देखी तुमरी प्रीत॥ध्रु०॥
आपन जाय दुवारका छाय ऐसे बेहद भये हो नचिंत॥ ठोर०॥१॥
ठार सलेव करित हो कुलभवर कीसि रीत॥२॥
बीन दरसन कलना परत हे आपनी कीसि प्रीत।
मीरां के प्रभु गिरिधर नागर प्रभुचरन न परचित॥३॥

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