छोड़ मत जाज्यो जी महाराज लिरिक्स
छोड़ मत जाज्यो जी महाराज
छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥
मैं अबला बल नायं गुसाईं, तुमही मेरे सिरताज।
मैं गुणहीन गुण नांय गुसाईं, तुम समरथ महाराज॥
थांरी होयके किणरे जाऊं, तुमही हिबडारो साज।
मीरा के प्रभु और न कोई राखो अबके लाज॥
(जाज्यो=जाओ, महाराज=प्रियतम,कृष्ण, गुणागार= गुणों का समूह, हिवड़ रो=हृदय
की, साज=शोभा, भोभीत=भयभीत,संसार के दुःखों के कारण डर, निवारण=दूर करने
वाले, कठे=कहां)
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हरि गुन गावत नाचूंगी॥
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥१॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥३॥
तो सांवरे के रंग राची।
साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू, लोक-लाज तजि नाची।।
गई कुमति, लई साधुकी संगति, भगत, रूप भै सांची।
गाय गाय हरिके गुण निस दिन, कालब्यालसूँ बांची।।
उण बिन सब जग खारो लागत, और बात सब कांची।
मीरा श्रीगिरधरन लालसूँ, भगति रसीली जांची।।