जोगिया से प्रीति कियां दुख होई लिरिक्स

जोगिया से प्रीति कियां दुख होई लिरिक्स

जोगिया से प्रीति कियां दुख, होई
जोगिया से प्रीति कियां दुख, होई।।टेक।।
प्रीत कियां सुख ना मोरी सजनी, जोगी मित न कोइ।
रात दिवस कल नाहिं परत है, तुम मिलियां बिनि मोइ। ऐसी सूरत या जग माहीं फेरि न देखी सोइ।
मीरां रे प्रभु कबरे मिलोगे, मिलियां आणद होइ।।
(मित=मित्र,वफादार, आणद=आनन्द)

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हरि गुन गावत नाचूंगी॥
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥१॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥३॥
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