जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल लिरिक्स Jogiyari Pritadi Hai Dukhada Lyrics
जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल लिरिक्स Jogiyari Pritadi Hai Dukhada Lyrics
जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल
जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल।।टेक।।
हित मिल बात बणावत मीठी, पीछै जावत भूल।
तोड़त जेज करत नहिं सजनी, जैसे चैमेली के फूल। मीरां कहै प्रभु तुमरे दरस बिन, लगत हिवड़ा में सूल।।
(जोगियारी=जोगी की, प्रीतड़ी=प्रीती, दुखड़ा रो= दुख का, मूल=जड़,कारण, जेज=देर, सूल =काँटे)
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जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल।।टेक।।
हित मिल बात बणावत मीठी, पीछै जावत भूल।
तोड़त जेज करत नहिं सजनी, जैसे चैमेली के फूल। मीरां कहै प्रभु तुमरे दरस बिन, लगत हिवड़ा में सूल।।
(जोगियारी=जोगी की, प्रीतड़ी=प्रीती, दुखड़ा रो= दुख का, मूल=जड़,कारण, जेज=देर, सूल =काँटे)
हरि गुन गावत नाचूंगी॥
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥१॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥३॥
तो सांवरे के रंग राची।
साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू, लोक-लाज तजि नाची।।
गई कुमति, लई साधुकी संगति, भगत, रूप भै सांची।
गाय गाय हरिके गुण निस दिन, कालब्यालसूँ बांची।।
उण बिन सब जग खारो लागत, और बात सब कांची।
मीरा श्रीगिरधरन लालसूँ, भगति रसीली जांची।।