प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े लिरिक्स Prabhu Ji Tum Darshan Lyrics

प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics

प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े
प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।टेक।।
अन्न नहीं भावे नींद न आवे विरह सतावे मोय।
घायल ज्यूं घूमूं खड़ी रे म्हारो दर्द न जाने कोय।।१।।
दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय।
प्राण गंवाया झूरता रे, नैन गंवाया दोनु रोय।।२।।
जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दुख होय।
नगर ढुंढेरौ पीटती रे, प्रीत न करियो कोय।।३।।
पन्थ निहारूँ डगर भुवारूँ, ऊभी मारग जोय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम मिलयां सुख होय।।४।।
 
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घर आंगण न सुहावै, पिया बिन मोहि न भावै॥
दीपक जोय कहा करूं सजनी, पिय परदेस रहावै।
सूनी सेज जहर ज्यूं लागे, सिसक-सिसक जिय जावै॥
नैण निंदरा नहीं आवै॥
कदकी उभी मैं मग जोऊं, निस-दिन बिरह सतावै।
कहा कहूं कछु कहत न आवै, हिवड़ो अति उकलावै॥
हरि कब दरस दिखावै॥
ऐसो है कोई परम सनेही, तुरत सनेसो लावै।
वा बिरियां कद होसी मुझको, हरि हंस कंठ लगावै॥
मीरा मिलि होरी गावै॥

घर आवो जी सजन मिठ बोला।
तेरे खातर सब कुछ छोड्या, काजर, तेल तमोला॥
जो नहिं आवै रैन बिहावै, छिन माशा छिन तोला।
'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, कर धर रही कपोला॥

चरन रज महिमा मैं जानी। याहि चरनसे गंगा प्रगटी।
भगिरथ कुल तारी॥ चरण०॥१॥
याहि चरनसे बिप्र सुदामा। हरि कंचन धाम दिन्ही॥ च०॥२॥
याहि चरनसे अहिल्या उधारी। गौतम घरकी पट्टरानी॥ च०॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल से लटपटानी॥ चरण०॥४॥
 
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