चालो मन गंगा जमुना तीर लिरिक्स
चालो मन गंगा जमुना तीर
चालो मन गंगा जमुना तीर।
गंगा जमुना निरमल पाणी सीतल होत सरीर।
बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लियो बलबीर॥
मोर मुगट पीताम्बर सोहे कुण्डल झलकत हीर।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल पर सीर॥
---------------------------
हरि गुन गावत नाचूंगी॥
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥१॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥३॥