माई म्हारी हरिहूँ न बूझयाँ बात लिरिक्स Mayi Mhari Hari Hu Na Lyrics

माई म्हारी हरिहूँ न बूझयाँ बात लिरिक्स Mayi Mhari Hari Hu Na Lyrics Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics

माई म्हारी हरिहूँ न बूझयाँ बात
माई म्हारी हरिहूँ न बूझयाँ बात।।टेक।।
पड माँसू प्राण पापी, निकसि क्यूं णा जात।
पटा णाँ खोल्या मुखाँ णा बोल्या, सांझ भयाँ प्रभात।
अबोलणां जुग बीतण लागा कायाँरी कुसलात।
सावण आवण हरि आवण री, सुण्या म्हाणे बात।
घोर रैणां बीजु चमकां बार निणताँ प्रभात।
मीराँ दासी स्याम राती, ललक जीवणाँ जात।।
(न बूझयाँ बात=बात न पूछना, पड मांसूँ= शरीर में से, पटा=पट,घूँघट, अबोलणाँ=बिना बोले ही, कायाँरी=कैसी, कुसलात=कुशल, रैणां= रैन,रात, बीजु=बिजली, बार निणताँ=घड़ी गिनते-गिनते)
बन जाऊं चरणकी दासी रे, दासी मैं भई उदासी॥ध्रु०॥
और देव कोई न जाणूं। हरिबिन भई उदासी॥१॥
नहीं न्हावूं गंगा नहीं न्हावूं जमुना। नहीं न्हावूं प्रयाग कासी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलकी प्यासी॥३॥

बन्सी तूं कवन गुमान भरी॥ध्रु०॥
आपने तनपर छेदपरंये बालाते बिछरी॥१॥
जात पात हूं तोरी मय जानूं तूं बनकी लकरी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर राधासे झगरी बन्सी॥३॥

बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं।
सुणो री सखी तुम चेतन होयकै मनकी बात कहूं॥
साध संगति कर हरि सुख लेऊं जगसूं दूर रहूं।
तन धन मेरो सबही जावो भल मेरो सीस लहूं॥
मन मेरो लागो सुमरण सेती सबका मैं बोल सहूं।
मीरा के प्रभु हरि अविनासी सतगुर सरण गहूं॥

बागनमों नंदलाल चलोरी॥ अहालिरी॥ध्रु॥
चंपा चमेली दवना मरवा। झूक आई टमडाल॥च०॥१॥
बागमों जाये दरसन पाये। बिच ठाडे मदन गोपाल॥च०॥२॥
मीराके प्रभू गिरिधर नागर। वांके नयन विसाल॥च०॥३॥

भजु मन चरन कँवल अविनासी।
जेताइ दीसे धरण-गगन-बिच, तेताई सब उठि जासी।
कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हे, कहा लिये करवत कासी।
इस देही का गरब न करना, माटी मैं मिल जासी।
यो संसार चहर की बाजी, साँझ पडयाँ उठ जासी।
कहा भयो है भगवा पहरयाँ, घर तज भए सन्यासी।
जोगी होय जुगति नहिं जाणी, उलटि जनम फिर जासी।
अरज करूँ अबला कर जोरें, स्याम तुम्हारी दासी।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, काटो जम की फाँसी।

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