खयाल आता है जिस दम दिल में चुभता है सिनां होकर लिरिक्स
खयाल आता है जिस दम दिल में चुभता है सिनां होकर
खयाल आता है जिस दम दिल में चुभता है सिनां होकर,
रहे क्यों कब्जाए अगियार में हिंदोस्तां होकर।
शहीदाने-वतन का खून एक दिन रंग लाएगा,
चमन में फूट निकलेगा यह बरगे-अर्गवां होकर।
फकत दारो-रसन ही कामयाबी का जरिया है,
मकासिद तक यह पहुंचाएगी हमको निर्दबाँ होकर।
नहीं वाकिफ थे मादर और पिदर इस अमरेशुदनी से,
कि आफत में पड़ेंगे उनके बच्चे नौजवां होकर।
सता ले ऐ फलक मुझको जहाँ तक तेरा जी चाहे,
सितम परवर सितम झेलूँगा शेरे-नेसतां होकर।
करूं मैं इंकलाबे दहर का शिकवा मआज-अल्लाह,
है कुफ्र मुझ पर डरूँ गर जेल में नौजवां होकर।
दहलता है कलेजा दुश्मनों का देखकर हसरत,
चला करते हो जब बेड़ी पहनकर शादमाँ होकर।