नहीं गरचे अब वे हसरत दिलों में लिरिक्स Nahi Garche Aub We Hasrat Lyrics

नहीं गरचे अब वे हसरत दिलों में लिरिक्स Nahi Garche Aub We Hasrat Lyrics, Deshbhakti Geet/Kavita


नहीं गरचे अब वे हसरत दिलों में
नहीं गरचे अब वे हसरत दिलों में,
वही खून बाकी है लेकिन रगों में।

जुनूँ गरचे बाकी नहीं अब सरों में,
मगर आबोगिल है वही हड्डियों में।

नहीं गरचे रौनक वे अपने चमन में,
न वो रंग-बू हैं गुले-यासमन में?

है मुद्दत से गो अपना सूरज गहन में?
मगर खूं तो है वो भी अपने बदन में ?

है अर्ज आज मादर-ए-नाशाद के हुजूर,
मायूस क्यों हैं आप आलम का हैं क्यों वफूर।

सदमा यह शाक आलम-ए-पीरी में है जरूर,
लेकिन न दिल से कीजिए सब्रो-करार दूर।

शायद खिजां जो शक्ल अयां हो बहार की,
कुछ मसलहत इसी में हो परवरदिगार की।

ये जाल ये फरेब ये साजिश यह शोरो-शर,
होना जो है सब उसके बहाने हैं सर बसर।

असबाब जाहिरी हैं न उन पर करो नजर,
क्या जाने क्या हो परदये कुदरत से जलवागर।

खास उसकी मसलहत कोई पहचानता नहीं,
मंजूर क्या उसे है, कोई जानता नहीं।

राहत हो रंज हो कि खुशी हो कि इंतशार,
वाजिब हर रंग में है शुकर-ए-मिर्दबार।

तुम ही नहीं हो कुश्तए नेरंगे-रोजगार,
मातमकदे में दहर के लाखों हैं सोगवार।

सख्ती सही नहीं कि उठाई कड़ी नहीं,
दुनिया में क्या किसी पे मुसीबत पड़ी नहीं।

देखे हैं इससे बढ़के जमाने के इंकलाब,
जिनसे कि बेगुनाहो उमरें हुईं खराब।

सोजे दरूं से कलबो जिगर हो गए कबाब,
पीरी मिटी किसी की किसी का मिटा शबाब।

कुछ बन नहीं पड़ा जो नसीबे बिगड़ गए,
वे बिजलियाँ गिरीं कि भरे घर उजड़ गए।

पड़ता है जिस गरीब पे रंजो-महन का वार,
करता है इनको सब्र अता आप किर्दगार।

मायूस होके होते हैं इंसाँ गुनहगार,
यह जानते नहीं वह हैं दाना-ए-रोजगार।

इनसान उसकी राह में साबित कदम रहे,
गरदन वही है अमरीरजा में जो खम रहे।

यह भी देखें You May Also Like

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url