श्याम समर्पण भजन

श्याम समर्पण भजन

॥ श्री श्याम समर्पण ॥
जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,
मोर्वीनंदन श्याम बिहारी......
(तर्ज:त्वमेव माता च पिता त्वमेव ..)

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी!!

आयें हैं दर पे, हम तो तुम्हारे
दरशन के प्यासे, नयन हमारे
दे दरशन प्यास, बढ़ा दो हमारी
खाटूवाले श्याम बिहारी...........

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

आशा है मन में,विश्वास तुझ पर
करोगे महर श्याम,आज मुझ पर
आयेगी कब बोलो, बारी हमारी
खाटूवाले श्याम बिहारी.........

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

नग्मे सुनायें,या गीत जो गायें
झूमें......नाचें,तुझको रिझायें
तेरी रज़ा में, रज़ा है हमारी..
खाटूवाले श्याम बिहारी......

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

देगा तूं गम या,खुशियाँ जो मुझको
सहेंगें कहेंगें, ना कुछ भी तुमको...
'टीकम'तो दास, तेरा दरबारी.....
खाटूवाले श्याम बिहारी...........

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों को हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!
!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!
!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!
!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!


हृदय श्याम के प्रति पूर्ण समर्पण से भरा है, जो मोरवी नंदन और खाटूवाले बिहारी हैं। वे कलयुग में भव-भय को हरने वाले, भक्तों के हितकारी हैं। उनके दर पर पहुंचने की तीव्र प्यास नयनों में बसती है, और यह प्यास और बढ़ने की चाह रखती है। मन में आशा और विश्वास है कि उनकी कृपा अवश्य होगी, बस अपनी बारी का इंतज़ार है।

नगमे गाकर, गीत गुनगुनाकर, नाचकर-झूमकर उन्हें रिझाने की इच्छा है, क्योंकि उनकी रज़ा में ही मन की रज़ा है। सुख हो या दुख, जो भी श्याम दे, वह स्वीकार है। 'टीकम' उनका दास है, उनके दरबार का सेवक, जो हर पल उनके चरणों में लीन रहना चाहता है। यह भक्ति का वह समर्पण है, जो आत्मा को श्याम के प्रेम और कृपा में डुबो देता है।
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