दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खजाना

दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खजाना भजन

दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है
मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है
आया जो पहली बार,दर पर तेरे ओ श्याम
जग में चर्चा तेरी, सुन कर तेरा मैं नाम...
देखा जबसे तुझे श्याम, दिल तेरा दीवाना है
मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है
दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है
मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है
मस्ती जो बरस रही,मस्ती में मैं खोया
नाच उठा मेरा मन,जागा जो था सोया
भक्ति का दीप यह श्याम,घर-घर में जगाना है
मिलता जो शकुन यहाँ, कहीं और न जाना है..
दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है
मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है
जहाँ दीप जगे आना,जगे ज्योति तुम्हारी श्याम
गुण गान करूँ तेरा, रस पान करूँ मैं श्याम.......
रस भक्ति का तुझे श्याम,हाथों से पिलाना है
मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है
दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है
मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है
एक बार नहीं कई बार,पीया न प्यास बुझे
बढ़ती ही यह जाये, जब-जब मैं देखुं तुझे
'टीकम' दे दर्शन श्याम,निश दिन दर आना है
मिलता जो शकुन यहाँ, कहीं और न जाना है
दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है
मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है.


श्याम का दरबार सुख और शांति का अथाह खजाना है, जहां मन को वह सुकून मिलता है जो कहीं और नहीं। पहली बार उनके दर पर कदम रखने वाला, उनके नाम की महिमा सुन, उनकी छवि में खो जाता है। दिल दीवाना हो उठता है, मस्ती की बरसात में मन नाचने लगता है। सोया हुआ चित्त जाग पड़ता है, और भक्ति का दीप हर घर में जलाने की चाह जन्म लेती है।

जहां श्याम की ज्योति जलती है, वहां उनका गुणगान और भक्ति का रस पीने की तृष्णा बढ़ती है। यह रस कभी एक बार पीने से नहीं बुझता, बार-बार उनके दर्शन की प्यास और गहरी होती है। 'टीकम' हर पल उनके दर पर लौटना चाहता है, क्योंकि श्याम का यह दरबार ही जीवन का असली ठिकाना है। यह भक्ति का वह आनंद है, जो मन को प्रभु के प्रेम में डुबो देता है।
Next Post Previous Post