श्री नेमिनाथ चालीसा

श्री नेमिनाथ चालीसा

बाईसवें तीर्थंकर – श्री नेमिनाथ भगवंत
श्री जिनवाणी शीश धार कर, सिध्द प्रभु का करके ध्यान ।
लिखू नेमि- चालीसा सुखकार, नेमिप्रभु की शरण में आन ।
समुद्र विजय यादव कूलराई, शौरीपुर राजधानी कहाई ।
शिवादेवी उनकी महारानी , षष्ठी कार्तिक शुक्ल बरवानी ।
सुख से शयन करे शय्या पर, सपने देखें सोलह सुन्दर ।
तज विमान जयन्त अवतारे, हुए मनोरथ पूरण सारे ।
प्रतिदिन महल में रतन बरसते, यदुवंशी निज मन में हरषते ।
दिन षष्ठी श्रावण शुक्ला का, हुआ अभ्युदय पुत्र रतन का ।
तीन लोक में आनन्द छाया, प्रभु को मेरू पर पधराश ।
न्हवन हेतु जल ले क्षीरसागर, मणियो के थे कलश मनोहर ।
कर अभिषेक किया परणाम, अरिष्ट नेमि दिया शुभ नाम ।
शोभित तुमसे सस्य-मराल, जीता तुमने काल – कराल ।
सहस अष्ट लक्षण सुललाम, नीलकमल सम वर्ण अभिराम ।
वज्र शरीर दस धनुष उतंग, लज्जित तुम छवि देव अनंग ।
घाचा-ताऊ रहते साथ, नेमि-कूष्ण चचेरे भ्रात ।
धरा जब यौवन जिनराई, राजुल के संग हुई सगाई ।
जूनागड़ को चली बरात, छप्पन कोटि यादव साथ ।
सुना वहाँ पशुओं का क्रन्दन, तोडा मोर – मुकुट और कंगन ।
बाडा खौल दिया पशुओं का, धारा वेष दिगम्बर मुनि का ।
कितना अदभुत संयम मन में, ज्ञानीजन अनुभव को मन में ।
नौ-नौ आँसू राजुल रोवे, बारम्बार मूर्छित होवे ।
फेंक दिया दुल्हन श्रृंगार, रो…रो कर यों करें पुकार ।
नौ भव की तोडी क्यों प्रीत, कैसी है ये धर्म की रीत ।
नेमि दें उपदेश त्याग का, उमडा सागर वैराग्य का ।
राजुल ने भी ले ली दीक्षा, हुई संयम उतीर्ण परीक्षा।।
दो दिन रहकर के निराहार, तीसरे दिन स्वामी करे विहार ।
वरदत महीपति दे आहार, पंचाश्चर्य हुए सुखकार ।
रहे मौन से छप्पन दिन तक, तपते रहे कठिनतम तप व्रत ।
प्रतिपदा आश्विन उजियारी, हुए केवली प्रभु अविकारी ।
समोशरण की रचना करते, सुरगण ज्ञान की पूजा करते ।
भवि जीवों के पुण्य प्रभाव से, दिव्य ध्वनि खिरती सद्भाव से ।
जो भी होता है अतमज्ञ, वो ही होता है सर्वज्ञ ।
ज्ञानी निज आत्म को निहारे, अज्ञानी पर्याय संवारे ।
है अदभुत वैरागी दृष्टि, स्वाश्रित हो तजते सब सृष्टि ।
जैन धर्मं तो धर्म सभी का, है निज़घर्म ये प्राणीमात्र का। 1
जो भी पहचाने जिनदेव, वो ही जाने आत्म देव ।
रागादि कै उन्मुलन को, पूजें सब जिनदेवचरण को ।
देश विदेश में हुआ विहार, गए अन्त में गढ़ गिरनार ।
सब कर्मों का करके नाश, प्रभु ने पाया पद अविनाश ।
जो भी प्रभु की शरण ने आते, उनको मन वांछित मिलजाते ।
ज्ञानार्जन करके शास्त्रों से, लोकार्पण करती श्रद्धा से ।
हम बस ये ही वर चाहे, निज आतम दर्शन हो जाए ।

प्रार्थना
यदुकुल नंदन नेमिजिनेश्वर, शिवादेवी के सूत हो तुम l
लाखों पशु की जान बचाई, वास्तव में अद्भुत हो तुम ll
राजुल के संग नौनौ भव् की, प्रीत प्रभु ने पूरी की l
सच्चा प्रेम है मुक्तिदाता, प्रभुवर ने मंजूरी दी ll

 
सुन्दर भजन में श्री नेमिनाथ भगवान की दिव्यता और जीवन की महत्ता का विस्तृत चित्र उभरता है। वे समुद्रविजय यादव कुल के शौर्यपुर के राजकुमार थे, जिनका जन्म कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुआ। उनकी माता शिवादेवी और पिता समुद्रविजय थे। बाल्यकाल से ही उनके जीवन में विलक्षण सौंदर्य, ज्ञान और संयम की झलक मिलती है। उनके सपनों में सोलह सुन्दर छवियाँ दिखाई देती थीं, जो उनके दिव्य स्वरूप की ओर संकेत करती हैं।

उनके विवाह के समय जब वे बारात लेकर जा रहे थे, तब पशुओं के क्रंदन को देखकर हृदय में करुणा जागी और माया-मोह से विरक्ति उत्पन्न हुई। यह क्षण उनके जीवन का निर्णायक मोड़ था, जिसने उन्हें सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर तपस्या और ज्ञान की ओर अग्रसर किया। राजुल के साथ उनका प्रेम भी त्याग और वैराग्य की ओर ले गया, जिससे वे संयम और आत्मज्ञान की प्राप्ति के मार्ग पर चले।

नेमिनाथ भगवान ने कठोर तपस्या और निराहार व्रत के माध्यम से केवलज्ञान प्राप्त किया, जो मोक्ष का परम पद है। उनके समवसरण में गणधर, श्रमण, श्रावक और श्राविकाओं की विशाल संख्या थी, जो उनके उपदेशों और धर्म के प्रचार में संलग्न थीं। उन्होंने समस्त जीवों के कल्याण के लिए धर्मोपदेश दिया और अहिंसा, सत्य, संयम जैसे उच्चतम गुणों का प्रचार किया।

उनकी दृष्टि में वैराग्य और आत्मा की शुद्धि का अद्भुत अनुभव था, जिसने उन्हें समस्त सृष्टि से परे कर दिया। वे केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवधारियों के लिए मोक्ष के मार्गदर्शक बने। उनका जीवन यह दर्शाता है कि सच्चा धर्म और ज्ञान वही है जो आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक हो।

उनकी कथा में यह भी स्पष्ट होता है कि प्रेम और वैराग्य के बीच संतुलन आवश्यक है। जब मनुष्य सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर आत्मा की ओर ध्यान केंद्रित करता है, तब उसे सच्चा सुख और शांति प्राप्त होती है। श्री नेमिनाथ भगवान की यह छवि केवल तीर्थंकर के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के आदर्श, संयम और ज्ञान के प्रतीक के रूप में भी प्रतिष्ठित है।
Next Post Previous Post