श्री राधा जी की आरती लिरिक्स Radha Ji Aarti Lyrics Hindi SHRI RADHA JI KI AARTI
आरती श्री वृषभानुसुता की |मंजु मूर्ति मोहन ममताकी || टेक ||त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,विमल विवेकविराग विकासिनि |
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ||
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,मधुर मनोहर मूरती सोहनि |
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,प्रिय अति सदा सखी ललिताकी ||
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,आकर अमित दिव्यगुन गनकी,
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,अति अमूल्य सम्पति समता की ||
कृष्णात्मिका, कृषण सहचारिणि,चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि |
जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि,आदि अनादिशक्ति विभुताकी ||
Shri Radha Ji Ki Aarti Lyrics (Likha Hua)
श्री राधाजी की आरती
आरती राधाजी की कीजै।
टेक...
कृष्ण संग जो कर निवासा,
कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै।
आरती...
कृष्णचन्द्र की करी सहाई,
मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै।
आरती...
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई,
यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै।
आरती...
प्रेम राह जिनसे बतलाई,
निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै।
आरती...
दुनिया की जो रक्षा करती,
भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै।
आरती...
दुनिया की जो जननी कहावे,
निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै।
आरती...
निज पुत्रों के काज संवारे,
रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै।
आरती राधाजी की कीजै...।
आरती राधाजी की कीजै।
टेक...
कृष्ण संग जो कर निवासा,
कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै।
आरती...
कृष्णचन्द्र की करी सहाई,
मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै।
आरती...
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई,
यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै।
आरती...
प्रेम राह जिनसे बतलाई,
निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै।
आरती...
दुनिया की जो रक्षा करती,
भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै।
आरती...
दुनिया की जो जननी कहावे,
निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै।
आरती...
निज पुत्रों के काज संवारे,
रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै।
आरती राधाजी की कीजै...।
श्री राधा जी की आरती सम्पूर्ण आरती लिरिक्स हिंदी
आरती प्रीतम प्यारी की,कि बनवारी नथवारी की।
दुहुँन सर कनक-मुकुट झलकै,
दुहुँन श्रुति कुण्डल भल हलकै,
दुहुँन दृग प्रेम सुधा छलकै,
चसीले बैन, रसीले नैन, गँसीले सैन,
दुहुँन मैनन मनहारी की॥
दुहुँनि दृग चितवनि पर वारि,
दुहुँनि लट-लटकनि-छवि न्यारी,
दुहुँनि भौं-मटकनि अति प्यारी,
रसन मुख पान, हँसन मुस्कान,
दसन दमकान,
दुहुँनि बेसर छवि न्यारी की॥
एक उर पीताम्बर फहरै,
एक उर नीलाम्बर लहरै,
दुहुँन उर लर-मोतिन छहरै,
कंकनन खनक,
किंकिनिन झनक, नुपूरन भनक,
दुहुँन रुनझुन धुनि प्यारी की॥
एक सिर मोर-मुकुट राजै,
एक सिर चुनरी-छवि छाजै,
दुहुन सिर तिरछे भल भ्राजै,
संग ब्रज बाल,
लाडली-लाल, बाँह गाल दाल,
कृपालु दुहुँन दृग चारि की॥
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