कोई ऐ माँ तेरे दरबार से खाली न गया, न गया माँ, तेरे दरबार से खाली न गया।
जिसने जो कुछ भी माँगा, तो मुरादें पाई, जिसने "माँ" कह के पुकारा, तू सामने आई। होके मायूस, तेरे दर से सवाल़ी न गया, न गया माँ, तेरे दरबार से खाली न गया।
ये वो दरबार है, जिस दर से दया मिलती है, ये वो दरबार है, जिस दर से शिफ़ा मिलती है। कैसे कह दूँ कि मैं दरबार से पाई न दया, न गया माँ, तेरे दरबार से खाली न गया।
मैं भी आया हूँ तेरे दर पे सवाल़ी होकर, एक उजड़े हुए गुलशन का वो माली होकर। एक भी फूल तेरे दर पे चढ़ाया न गया, न गया माँ, तेरे दरबार से खाली न गया।
अब न छोड़ूँगा कभी, देख ले तेरा आँचल, ले ले गोदी में अपने लाल को फैला आँचल। तेरे आँचल से फिसलकर कोई खाली न गया, न गया माँ, तेरे दरबार से खाली न गया।
कोई ऐ माँ, तेरे दरबार से खाली न गया, न गया माँ, तेरे दरबार से खाली न गया।
माँ दुर्गा के रूप : शास्त्रों में माँ दुर्गा के ९ रूप माने गए हैं। माता दुर्गा जो जगत जननी है, उनके रूप निम्न है। नवरात्रों में माँ के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है।
शैलपुत्री
ब्रह्मचारिणी
चन्द्रघंटा
कूष्माण्डा
स्कंदमाता
कात्यायनी
कालरात्रि
महागौरी
सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा सदा अपने भक्तों पर ऐसे दया भाव दिखाती हैं जैसे कोई माँ अपने बच्चों को प्रेम से रखती है। भक्तों के समस्त दुखों का अंत होता है। माँ के मन्त्र है जिनसे माँ की स्तुति की जाती है निम्न है -
घर में सुख सुविधा और वैभव प्राप्ति, संतान प्राप्ति और संपत्ति के लिए माँ दुर्गा के निम्न मंत्र का जाप फलदायी है।
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यंति न संशय॥
माँ दुर्गा का कल्याणकारी मंत्र है जो समस्त बाधाओं का अंत करता है और जीनव में कल्याण लाता है।
यदि कोई जातक आर्थिक रूप से संकटों से घिरा है, विपन्नता उसका पीछा नहीं छोड़ रही है, व्यापार में लगातार घाटा प्राप्त हो रहा है तो माता रानी के निम्न मंत्र के जाप से लाभ प्राप्त होता है।