सखी मेरी नींद नसानी हो लिरिक्स Sakhi Meri Nind Nasani Ho Lyrics


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सखी मेरी नींद नसानी हो लिरिक्स Sakhi Meri Nind Nasani Ho Lyrics, Meera Bhajan

सखी, मेरी नींद नसानी हो
पिव को पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो
सखियन मिल कर सीख दई मन, एक न मानी हो
बिन देख्याँ कल नाहिं पड़त, जिय ऐसी ठानी हो
अंग-अंग व्याकुल भये मुख ते, पिय पिय बानी हो
अंतर-व्यथा विरह की कोई, पीर न जानी हो
चातक जैहि विधि रटे मेघ कूँ, मछली जिमि पानी हो
‘मीराँ’ अति अधीर विरहिणी, सुध-बुध बिसरानी हो
 

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