हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके
हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके लिरिक्स
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बन के।
इक जमाना था बुलाने से चला आता था,
मुझको कण कण में तेरा चेहरा नजर आता था,
टूट गई मैं तेरे चेहरे का दर्पण बनके,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके,
हर घड़ी याद तेरी आए सौतन बन के,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बन के।
शीशे जैसा मेरा दिल था जो तूने तोड़ दिया,
मुझको लगता है किसी और से दिल जोड़ लिया,
अब तो हर रात मुझे डसती है नागिन बनके,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके,
हर घड़ी याद तेरी आए सौतन बन के,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बन के।
दर्द अब दिल का बढ़ाने से भला क्या होगा,
श्याम जो रूठा साथ छूटा अब कहाँ होगा,
श्याम ब्रिज वास करूँ फिरती हूँ बावरी बनके,
मैं फिरूं श्याम तेरे नाम की जोगन बनके,
हर घड़ी याद तेरी आए सौतन बन के,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बन के।
हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बन के,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके।।
Har Ghadi Yaad Teri Aaye Sautan Banke || Shri Devkinandan Thakur Ji Maharaj
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति गहरी विरह-वेदना और प्रेम की पुकार झलकती है। मन की बेचैनी ऐसी है, जैसे हर पल श्रीकृष्णजी की याद साये की तरह साथ चलती हो। ये प्रेम इतना गहरा है कि भक्त का मन उनके बिना अधूरा सा लगता है, जैसे कोई प्रिय सखी दूर चली गई हो। पहले का वो समय याद आता है, जब एक पुकार पर श्रीकृष्णजी पास चले आते थे। हर जगह, हर कण में उनका चेहरा दिखता था, मानो वो हर पल साथ हों। लेकिन अब मन टूटा हुआ सा है, जैसे कोई कीमती शीशा चकनाचूर हो गया हो। ये टूटन उस दर्द को बयाँ करती है, जो प्रेम में दूरी या बिछोह से जन्म लेता है। फिर भी, भक्त का मन उनके नाम में ही डूबा रहता है, जैसे वो संसार छोड़कर सिर्फ उनकी भक्ति में रम गया हो।
दिल के टूटने का दर्द तब और बढ़ जाता है, जब लगता है कि श्रीकृष्णजी का ध्यान कहीं और चला गया है। ये भाव मन की उस कमजोरी को दिखाता है, जब इंसान को लगता है कि उसका प्रिय उससे दूर हो गया। रातें अब भारी लगती हैं, जैसे कोई दुख हर पल चुभता हो। लेकिन इस दर्द में भी श्रीकृष्णजी के प्रति प्रेम कम नहीं होता।
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