मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी बिल्कुल लगती
मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी बिल्कुल लगती
मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
अपने पास बुलाकर मुझको,
गोदी में बिठाया,
हाथ फिराया सिर पे मेरे,
बड़े प्रेम से खिलाया,
जैसे खिलाती हो तुम हलवा देसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
मेरे मन को भा गई है,
तेरी सूरत भोली,
हर पल तेरे संग रहूँगी,
मैया मुझसे बोली,
मेरे रहते तुमको चिंता कैसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
जहाँ भी जाता मंदिर में माँ,
वही मुझे मिल जाती,
कभी इशारा करके बुलाती,
और कभी मुस्काती,
मुझको बिल्कुल न लगती परदेसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
जैसे मैं तेरी माँ, वैसे
वो सारे जग की माँ है,
‘श्याम’ कहे, उसके वश में,
ये धरती आसमाँ है,
शक्ति नहीं कोई वो ऐसी-वैसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
अपने पास बुलाकर मुझको,
गोदी में बिठाया,
हाथ फिराया सिर पे मेरे,
बड़े प्रेम से खिलाया,
जैसे खिलाती हो तुम हलवा देसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
मेरे मन को भा गई है,
तेरी सूरत भोली,
हर पल तेरे संग रहूँगी,
मैया मुझसे बोली,
मेरे रहते तुमको चिंता कैसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
जहाँ भी जाता मंदिर में माँ,
वही मुझे मिल जाती,
कभी इशारा करके बुलाती,
और कभी मुस्काती,
मुझको बिल्कुल न लगती परदेसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
जैसे मैं तेरी माँ, वैसे
वो सारे जग की माँ है,
‘श्याम’ कहे, उसके वश में,
ये धरती आसमाँ है,
शक्ति नहीं कोई वो ऐसी-वैसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी,
बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी।।
मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी इस भजन ने सबको दीवाना बना दिया || Shyam Agarwal || SCI