म्हापे जद भी मुसीबत कोई आवन लागे माता भजन

म्हापे जद भी मुसीबत कोई आवन लागे माता भजन

(मुखड़ा)
म्हापे जद भी मुसीबत,
कोई आवन लागे,
कोई आवन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे।।

(अंतरा)
जद नैया हिचकोले खावे,
माँ, थारी चुनड़ लहरावे,
अपने आप ही भँवर में,
नैया चालन लागे,
नैया चालन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे।।

लाज भगत की जावन लागे,
चुनड़ी मैया की लहरावण लागे,
थारी चुनड़ी, माँ, लाज ने,
बचावण लागे,
माँ बचावण लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे।।

जद-जद म्हारो मन घबरावे,
माँ, थारी चुनड़ लहरावे,
हाथों-हाथ ही यो बेटो,
मुस्कावन लागे,
मुस्कावन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे।।

जद-जद मैया म्हासु रूठे,
‘बनवारी’ कुछ और ना सूझे,
थारा बेटा थाने चुनरी,
उड़ावण लागे,
उड़ावण लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
म्हापे जद भी मुसीबत,
कोई आवन लागे,
कोई आवन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे।।
 


RANISATI DADI BHAJAN // Mhape Jad Bhi Musibat By Saurabh-Madhukar
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