जाने कितनों की किस्मत यहाँ आके भजन
जाने कितनों की किस्मत यहाँ आके संवरी है भजन
जाने कितनो की किस्मत,यहाँ आके संवरी है,
तीन लोक में तो कोई और नहीं,
मेरे बाबा की खाटू नगरी है।
जब से मैं खाटू जाने लगा,
बदली है मेरी ये ज़िंदगी,
बाबा ने अपनी शरण ले लिया,
चरणों की मुझको मिली बंदगी,
उलझन हो चाहे जैसी,
यहाँ आके सुलझी है,
तीन लोक में तो कोई और नहीं,
मेरे बाबा की खाटू नगरी है।
खाटू की भूमि पावन बड़ी,
करती है सारी सृष्टि नमन,
बाबा का दर्शन पाने से,
पावन हो जाता तन और मन,
कुछ बात है खाटू जी में,
सारी दुनिया उमड़ी है,
तीन लोक में तो कोई और नहीं,
मेरे बाबा की खाटू नगरी है।
पग पग पे जिसके दुश्मन खड़े,
जिसका सहारा कोई नहीं,
बेबस बेचारे मजबूर वो,
उनकी लड़ाई बाबा लड़े,
मोहित भगतो की भाग्य,
यहाँ खुशियों से निखरी है,
तीन लोक में तो कोई और नहीं,
मेरे बाबा की खाटू नगरी है।