मैं आरती तेरी गाऊं ओ अम्बे मात भवानी लिरिक्स Main Aarti Teri Gau Lyrics, Mata Rani Bhajan
मैं आरती तेरी गाऊं,ओ अम्बे मात भवानी,
मैं नित नित शीश नवाऊं,
ओ दुर्गे माँ महारानी।
है तेरा रूप निराला,
सच मुच में भोला भाला,
तुझसा ना प्यारा कोई,
ओ शेर सवारी वाली,
मैं आरती तेरी गाऊ,
ओ अम्बे मात भवानी।
जो आये शरण तिहारी,
विपदा मिट जाए सारी,
हम सब पर कृपा करना,
ओ भक्तो की प्राण पियारी,
मैं आरती तेरी गाऊं,
ओ अम्बे मात भवानी।
तूने शुम्भ निशुम्भ को मारा,
तूने चंड मुण्ड संहारा,
तूने देवो के प्राण बचाये,
ओ सृष्टि आधार भवानी,
मैं आरती तेरी गाऊं,
ओ अम्बे मात भवानी।
जो गाएं आरती तुम्हारी,
तर जाए नर और नारी,
हम आये शरण तिहारी,
ओ अष्ट भुजाओ वाली,
मैं आरती तेरी गाऊं,
ओ अम्बे मात भवानी।
मैं आरती तेरी गाऊं,
ओ अम्बे मात भवानी,
मैं नित नित शीश नवाऊं,
ओ दुर्गे माँ महारानी।
यह भी देखें You May Also Like
- भज हूँ रे मन श्री नन्द नंदन अभय चरण लिरिक्स हिंदी Bhaj Hu Re Man Shir Nand Nandan Abhay Charan Lyrics
- चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है लिरिक्स Chalo Mata Ne Bulaya Hai Lyrics
- श्री हरि स्त्रोतम लिरिक्स हिंदी Shri Hari Strotam Lyrics Hindi श्री हरि स्त्रोतम
- राम जी के नाम ने तो पाथर भी तारे लिरिक्स हिंदी Ram Ji Ke Naam Ne To Pathar Bhi Taare Lyrics हरी ओम शरण भजन
माँ दुर्गा के नाम से समस्त विषय विकारों का अंत होता है, दुर्गा शब्द से आशय है की समस्त आसुरी शक्तियों का अंत करने वाली। समस्त दुःख दर्द, शोक, भय का नाश होता है माँ दुर्गा के नाम के जाप से। माँ दुर्गा के नाम से ही समस्त नकारात्मक शक्तियों और क्लेश का अंत होता है। समस्त शक्तियों का वरदान और सिद्धि देनी वाली शक्ति है माता दुर्गा।
माता दुर्गा को शिव प्रिया कहा जाता है क्यों की एक तो माता रानी को पार्वती जी का अवतार माना जाता है और दूसरा शिव के नाम के समान ही माता जी के नाम का अर्थ है कल्याणकारी और शुभ शक्तियों का पोषण करने वाली माता। माँ दुर्गा के रूप : शास्त्रों में माँ दुर्गा के ९ रूप माने गए हैं। माता दुर्गा जो जगत जननी है, उनके रूप निम्न है। नवरात्रों में माँ के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है।
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चन्द्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
मैं आरती तेरी गाऊं एक भजन है जो माता दुर्गा की स्तुति करता है। यह भजन हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है और इसे अक्सर नवरात्रि के दौरान गाया जाता है। भजन के पहले दो छंदों में, भक्त माता दुर्गा की प्रशंसा करते हैं। वे कहते हैं कि वह एक अद्वितीय रूप वाली देवी हैं जो बहुत दयालु और प्यारी हैं।
तीसरे छंद में, भक्त माता दुर्गा से अपने भक्तों पर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि जो भी उनकी शरण में आता है, उसकी सभी विपदाएँ दूर हो जाती हैं। चौथे छंद में, भक्त माता दुर्गा की महिमा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने शुम्भ निशुम्भ और चंड मुण्ड जैसे राक्षसों को मारा और देवताओं को बचाया।
पाँचवें छंद में, भक्त माता दुर्गा से अपने भक्तों को आशीर्वाद देने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि जो भी उनकी आरती गाता है, वह सभी संकटों से पार हो जाता है। भजन के अंतिम दो छंदों में, भक्त माता दुर्गा की स्तुति करते हैं और उनकी शरण में जाने का वादा करते हैं।
इस भजन में, भक्त माता दुर्गा को एक शक्तिशाली और दयालु देवी के रूप में चित्रित करते हैं। वे कहते हैं कि वह अपने भक्तों के लिए एक सुरक्षा कवच हैं और उन्हें सभी कष्टों से बचाती हैं। भजन का मुख्य संदेश यह है कि माता दुर्गा सभी के लिए एक आशा की किरण हैं। जो भी उनकी शरण में आता है, उसे आशीर्वाद और सुरक्षा मिलती है।
यह भजन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण भजन है। यह भजन नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो देवी दुर्गा को समर्पित एक नौ दिवसीय त्योहार है। भजन को गाकर, भक्त माता दुर्गा से आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त करने की उम्मीद करते हैं। वे माता दुर्गा से अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।
नवरात्रि में पूजी जाने वाली नौ देवियों का वृहद् वर्णन इस प्रकार है:
1. शैलपुत्री
शैलपुत्री माता दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं। इनका जन्म पर्वतराज हिमालय और रानी मैना के घर हुआ था। शैलपुत्री देवी को नंदी पर सवार दिखाया जाता है और उनके हाथों में त्रिशूल और डमरू धारण होते हैं।
2. ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी देवी माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। ये भगवान ब्रह्मा की पुत्री हैं और इन्होंने कठिन तपस्या करके ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया था। ब्रह्मचारिणी देवी को कमंडल और कमल पुष्प धारण किए हुए दिखाया जाता है।
3. चंद्रघंटा
चंद्रघंटा देवी माता दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। इनके माथे पर चंद्रमा के आकार का आभूषण सुशोभित है। चंद्रघंटा देवी को सिंह पर सवार दिखाया जाता है और उनके हाथों में धनुष-बाण धारण होते हैं।
4. कूष्मांडा
कूष्मांडा देवी माता दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। इनके हाथों में कमल पुष्प, गदा, चक्र और शंख धारण होते हैं। कूष्मांडा देवी को शेर पर सवार दिखाया जाता है।
5. स्कंदमाता
स्कंदमाता देवी माता दुर्गा का पांचवा स्वरूप हैं। इनकी गोद में बालक कार्तिकेय विराजमान हैं। स्कंदमाता देवी को कमल पुष्प पर विराजमान दिखाया जाता है और उनके हाथों में कमल पुष्प, गदा, चक्र और शंख धारण होते हैं।
6. कात्यायनी
कात्यायनी देवी माता दुर्गा का छठा स्वरूप हैं। इनका जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था। कात्यायनी देवी को सिंह पर सवार दिखाया जाता है और उनके हाथों में तलवार, ढाल, कमल पुष्प और त्रिशूल धारण होते हैं।
7. कालरात्रि
कालरात्रि देवी माता दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं। ये बहुत ही उग्र रूप धारण करती हैं। कालरात्रि देवी को शेर पर सवार दिखाया जाता है और उनके हाथों में तलवार, खप्पर और त्रिशूल धारण होते हैं।
8. महागौरी
महागौरी देवी माता दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं। इनका रंग बहुत ही गोरा है। महागौरी देवी को बैल पर सवार दिखाया जाता है और उनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, अक्षमाला और कमल पुष्प धारण होते हैं।
9. सिद्धिदात्री
सिद्धिदात्री देवी माता दुर्गा का नौवां और अंतिम स्वरूप हैं। ये भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं। सिद्धिदात्री देवी को कमल पुष्प पर विराजमान दिखाया जाता है और उनके हाथों में त्रिशूल, चक्र, गदा और कमल पुष्प धारण होते हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों में इन नौ देवियों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तगण अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इन देवियों से प्रार्थना करते हैं। नवरात्रि का समय आध्यात्मिक साधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।