जया किशोरी जी भजन |
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
छवि लगी मन श्याम की जब से,
भई बाँवरी मैं तो तब से,
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से,
नाता तोड़ा मैंने जग से,
ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने
ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
मोहन की सुन्दर सूरतिया
मन में बस गयी मोहनी मूरतिया
जब से ओढ़ी शाम चुनरिया
लोग कहे मैं भई बावरिया
मैंने छोड़ी जग की रीत,
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
हर दम अब तो रहूँ मस्तानी
लोक लाज दीनी बिसरानी
रूप राशि अंग अंग समानी
हे रत हे रत रहूँ दीवानी
मई तो गाऊँ ख़ुशी के गीत,
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
मोहन ने ऐसी बंसी बजायी
सब ने अपनी सुध बिसरायी
गोप गोपिया भागी आई
लोक लाज कुछ काम न आई
फिर बाज उठा संगीत
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
भूल गयी कही आना जाना
जग सारा लागे बेगाना
अब तो केवल शाम सुहाना
रूठ जाये तो उन्हें मनाना
अब होगी प्यार की जीत
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
हम प्रेम नगर की बंजारन
जप तप और साधन क्या जाने
हम शाम के नाम की दीवानी
नित नेम के बंधन क्या जाने
हम बृज की भोली गंवारनिया
ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जाने
ये प्रेम की बाते है उद्धव
कोई क्या समझे कोई क्या जाने
मेरे और मोहन की बातें
या मै जानू या वो जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
शाम तन शाम मन शाम हैं हमारो धन,
आठों याम पूछो हमें श्याम ही सो काम है,
शाम हिये शाम पिए शाम बिन नाहीं जीएं,
आंधें की सी लाकडी आधार शाम नाम है,
शाम गति शाम मति शाम ही हैं प्राणपति
शाम सुखदायी सो भलाई आठो याम हैं
उद्धव तुम भये बाँवरे पोथी लेके आये दोड़े
हम योग कहा राखे यहाँ रोम रोम शाम है।
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
छवि लगी मन श्याम की जब से,
भई बाँवरी मैं तो तब से,
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से,
नाता तोड़ा मैंने जग से,
ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने
ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
मोहन की सुन्दर सूरतिया
मन में बस गयी मोहनी मूरतिया
जब से ओढ़ी शाम चुनरिया
लोग कहे मैं भई बावरिया
मैंने छोड़ी जग की रीत,
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
हर दम अब तो रहूँ मस्तानी
लोक लाज दीनी बिसरानी
रूप राशि अंग अंग समानी
हे रत हे रत रहूँ दीवानी
मई तो गाऊँ ख़ुशी के गीत,
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
मोहन ने ऐसी बंसी बजायी
सब ने अपनी सुध बिसरायी
गोप गोपिया भागी आई
लोक लाज कुछ काम न आई
फिर बाज उठा संगीत
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
भूल गयी कही आना जाना
जग सारा लागे बेगाना
अब तो केवल शाम सुहाना
रूठ जाये तो उन्हें मनाना
अब होगी प्यार की जीत
ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने, कोई क्या जानें,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
हम प्रेम नगर की बंजारन
जप तप और साधन क्या जाने
हम शाम के नाम की दीवानी
नित नेम के बंधन क्या जाने
हम बृज की भोली गंवारनिया
ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जाने
ये प्रेम की बाते है उद्धव
कोई क्या समझे कोई क्या जाने
मेरे और मोहन की बातें
या मै जानू या वो जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।
शाम तन शाम मन शाम हैं हमारो धन,
आठों याम पूछो हमें श्याम ही सो काम है,
शाम हिये शाम पिए शाम बिन नाहीं जीएं,
आंधें की सी लाकडी आधार शाम नाम है,
शाम गति शाम मति शाम ही हैं प्राणपति
शाम सुखदायी सो भलाई आठो याम हैं
उद्धव तुम भये बाँवरे पोथी लेके आये दोड़े
हम योग कहा राखे यहाँ रोम रोम शाम है।
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनियां क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जानें।