श्याम की अदालत में जो भी चला आता है

श्याम की अदालत में जो भी चला आता है

श्याम की अदालत में, जो भी चला आता है,
होती सुनवाई वहाँ और वो न्याय पाता है,
श्याम की अदालत में, जो भी चला आता है।

सबके मुक़दमे सुनता हैं बाबा,
सच्चा ही फैसला करता है बाबा,
न्याय की पताका ये फहराता है,
श्याम की अदालत में, जो भी चला आता है।

चालाकी चलती ना किसी की,
झूठे की इसने कस के खबर ली,
भटके को मंजिल पे पहुंचाता है,
श्याम की अदालत में, जो भी चला आता है।

कर्मो का लेखा जांचे ये परखे,
देखो समपर्ण व्यवहार निरखे,
तब जाके मोरछड़ी लहराता है,
श्याम की अदालत में, जो भी चला आता है।

जिसने भी समझी ये प्रेम परिभाषा,
चोखानी होती ना उनको निराशा,
प्रेमी ये प्रेमियों का बन जाता है,
श्याम की अदालत में, जो भी चला आता है।


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