थाने काजलियो बना ल्यूं लिरिक्स Thane Kajaliyo Bana Lu Lyrics

थाने काजलियो बना ल्यूं लिरिक्स Thane Kajaliyo Bana Lu Lyrics, Rajasthani Song


थाने काजलियो बना ल्यूं लिरिक्स Thane Kajaliyo Bana Lu Lyrics, Rajasthani Song
 
थाने काजलियो बना ल्यूं राज,
पलकां में बंद कर राखुली,
ओ राज, राज, पलका में बंद कर राखुली,
थाने कालजीयो बणाल्यूँ,
म्हारें नैना में रमाल्यु राज,
पलका में बंद कर राखूली,
राज, पलका में बंद कर राखुली।

गौरी पलका में नींद कइयाँ आवेली, आवेली ,
गोरी पलका में नींद किया आवेली,
म्हारी पलका पालणियां झुलावेली,
झुलावेली म्हारी पलका पालनिए झुलावेली,
म्हारे हिवड़ा दूर दूर कइयाँ जावेला जी,
थाने चंदन हार बणाल्यूँ,
थाने हिवड़े सू लगा ल्यूं,
चुनरी में लूकाय थाने राखूली,
थाने कालजीयो बणाल्यूँ,
म्हारें नैना में रमाल्यु राज,
पलका में बंद कर राखूली,
राज, पलका में बंद कर राखुली।
ओ राज़, पलकां में बंद कर राखूंली।

गोरी चुनरी लहर लहरावेली, लहरावे,
गोरी चुनरी लहर लहरावेली,
भोले प्राणा में प्रीत जगावेली,
ओ म्हारे नैना सू दूर दूर कइया जावोला जी
ढोला किया ज़वोला
थाने मोतीडो बणाल्यु,
म्हारी नथनी में जड़ाल्यु,
घूँघट में छुपाय थाने राखूली,
ओ, घूँघट में छुपाय थाने राखूली
थाने कालजीयो बणाल्यूँ,
म्हारें नैना में रमाल्यु राज,
पलका में बंद कर राखूली,
राज, पलका में बंद कर राखुली।
ओ राज़, पलकां में बंद कर राखूंली।


थाने काजलियो बना ल्यूं राज,
पलकां में बंद कर राखुली,
ओ राज, राज, पलका में बंद कर राखुली,
थाने कालजीयो बणाल्यूँ,
म्हारें नैना में रमाल्यु राज,
पलका में बंद कर राखूली,
राज, पलका में बंद कर राखुली।



KAJALIYO (Official Video) काजलियो Aakanksha Sharma | Kapil Jangir | Rajasthani song | KS Records

लोक संगीत का मात्र उल्लेख राजस्थानी के मधुर लोक गीतों को याद करता है। राजस्थानी लोक संगीत दुनिया भर में लोकप्रिय और लोकप्रिय है, लेकिन क्या यह संगीत इतना खास बनाता है? उत्तर अद्वितीय आदिम दिखने वाला संगीत वाद्ययंत्र है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संगीत "घरानों" का योगदान है।
प्रसिद्ध मंगनियार राजस्थानी लोक संगीत का यह संक्षिप्त परिचय आपको उन धुनों और तकनीकों की बुनियादी बातों के माध्यम से ले जाएगा, जो पूरी दुनिया में संगीत प्रेमियों के दिलों पर कब्जा कर चुके थे। आइए कुछ प्रकार के लोकप्रिय राजस्थानी वाद्ययंत्रों के साथ शुरू करें जो अक्सर उपयोग किए जाते हैं:

तीन वाद्ययंत्र बजाने वाले तीन पुरुष जैसलमेर, राजस्थान, भारत। ये सभी वाद्ययंत्र सोने और संगीत प्रेमियों को आकर्षित करते हैं, जब वे प्रतिभाशाली राजस्थानी लोक संगीतकारों के प्रशिक्षित हाथों में होते हैं, भले ही वे अपने आप में काफी विदेशी हैं। इसके लोक संगीत में योगदान राजस्थान में विविधता के कारण भव्य राज्य के लगभग हर हिस्से से आता है। मेवात, मांगणियार और लंगास, कंजर, बंजारा और धोली से मिरासी और जोगी उनमें सबसे प्रसिद्ध हैं। समान रूप से श्रद्धेय कुचामणी ख्याल, माच, तमाशा, रम्मट, नौटंकी, रासलीला जैसे प्रदर्शन हैं।
उनकी टोपी में नवीनतम पंख उनके संगीत और वाद्ययंत्रों का संयोजन है, जिसमें कई मुख्यधारा की संगीत शैलियों जैसे कि घर का संगीत, इलेक्ट्रो संगीत, आदि सभी शामिल हैं, राजस्थानी के लोक संगीत का इतना गहरा इतिहास है कि एक लेख न्याय नहीं कर सकता यह। हालांकि, यह हमारे बचपन की धुनों, दिल की भाषा बोलने वाले गीतों की सराहना करने का एक प्रयास है।

राजस्थानी संगीत में विरह : राजस्थानी संगीत में नायिका का विरह दिखाई देता है। भले ही वो प्रसिद्ध पीपली गीत हो या फिर अन्य कोई सभी में नायिका के विरह का चित्रण हुआ है। इसका कारन है की राजस्थान एक मरू भूमि का क्षेत्र है जहाँ पर पानी का अभाव रहा है। नायक को काम काज के लिए सदा ही अपने घर को छोड़कर दूर देशों में जाना पड़ता था और नायिका के विरह भाव का भी यही कारन रहा है।
इसके अलावा राजस्थान की धरती युद्ध का क्षेत्र रही है। सभी प्रमुख युद्धों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से यहाँ के जन जीवन को प्रभावित किया है। युद्ध में सैनिक काफी समय तक अपने घर से दूर रहते थे जिसका प्रभाव राजस्थान के गीतों पर भी दिखाई देता है।
राजस्थानी संगीत में मरुधरा की सुगंध बसी हुयी है। राजाओं की भूमि है राजस्थान। संघर्षमय जीवन के बावजूद भी संगीत यहां जिन्दा है। जुझारू जीवन शैली में संगीत का अपना अलग ही सौंदर्य होता है। घूमर, कालबेलिया, कठपुतली नृत्य और रावण हत्थे पर गाये जाने वाले पारम्परिक गीत भी अपनी अलग ही छँटा बिखेरते हैं। राजस्थान में संगीत भी जातियों और क्षेत्र पर निर्भर है। जैसे की लंगा, सपेरा, भोपा, मांगणियार, मिराशी, ढोली, जोगी आदि। राजस्थानी संगीत मूल रूप से दो शाखाओं में विभक्त किया जा सकता है। प्रथम तो देवी देवताओं के समर्पित गायन जो की क्षेत्रीय स्तर पर मान्यताओं के आधार पर लोक देवी देवताओं के लिए गाये जाते हैं।  आज भी तेजा जी, पाबू जी और जागरण में अपनी मान्यताओं के हिसाब से संगीत और गायन का चयन होता है।
संगीत घरानों में राजस्थान के जयपुर घराना,जयपुर घराना, डागर घराना, मेवाती घराना और अल्लादिया खां घराना प्रमुख हैं।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
+

1 टिप्पणी

  1. Nice Lyrics