वेंकटेश अष्टोतरा शतनामावली
वेंकटेश अष्टोतरा शतनामावली
॥ श्री वॆंकटॆश अष्टॊत्तर शतनामावली ॥ॐ श्रीवॆंकटॆशाय नमः ।
ॐ श्रीनिवासाय नमः ।
ॐ लक्ष्मीपतयॆ नमः ।
ॐ अनामयाय नमः ।
ॐ अमृतांशाय नमः ।
ॐ जगद्वंद्याय नमः ।
ॐ गॊविंदाय नमः ।
ॐ शाश्वताय नमः ।
ॐ प्रभवॆ नमः ।
ॐ शॆषाद्रिनिलयाय नमः ॥ १० ॥
ॐ दॆवाय नमः ।
ॐ कॆशवाय नमः ।
ॐ मधुसूदनाय नमः ।
ॐ अमऋताय नमः ।
ॐ माधवाय नमः ।
ॐ कृष्णाय नमः ।
ॐ श्रीहरयॆ नमः ।
ॐ ज्ञानपंजराय नमः ।
ॐ श्रीवत्सवक्षसॆ नमः ।
ॐ सर्वॆशाय नमः ॥ २० ॥
ॐ गॊपालाय नमः ।
ॐ पुरुषॊत्तमाय नमः ।
ॐ गॊपीश्वराय नमः ।
ॐ परंज्यॊतिषॆ नमः ।
ॐ वैकुंठपतयॆ नमः ।
ॐ अव्ययाय नमः ।
ॐ सुधातनवॆ नमः ।
ॐ यादवॆंद्राय नमः ।
ॐ नित्ययौवनरूपवतॆ नमः ।
ॐ चतुर्वॆदात्मकाय नमः ॥ ३० ॥
ॐ विष्णवॆ नमः ।
ॐ अच्युताय नमः ।
ॐ पद्मिनीप्रियाय नमः ।
ॐ धरापतयॆ नमः ।
ॐ सुरपतयॆ नमः ।
ॐ निर्मलाय नमः ।
ॐ दॆवपूजिताय नमः ।
ॐ चतुर्भुजाय नमः ।
ॐ चक्रधराय नमः ।
ॐ त्रिधाम्नॆ नमः ॥ ४० ॥
ॐ त्रिगुणाश्रयाय नमः ।
ॐ निर्विकल्पाय नमः ।
ॐ निष्कळंकाय नमः ।
ॐ निरातंकाय नमः ।
ॐ निरंजनाय नमः ।
ॐ निराभासाय नमः ।
ॐ नित्यतृप्ताय नमः ।
ॐ निर्गुणाय नमः ।
ॐ निरुपद्रवाय नमः ।
ॐ गदाधराय नमः ॥ ५० ॥
ॐ शांग्रपाणयॆ नमः ।
ॐ नंदकिनॆ नमः ।
ॐ शंखदारकाय नमः ।
ॐ अनॆकमूर्तयॆ नमः ।
ॐ अव्यक्ताय नमः ।
ॐ कटिहस्ताय नमः ।
ॐ वरप्रदाय नमः ।
ॐ अनॆकात्मनॆ नमः ।
ॐ दीनबंधवॆ नमः ।
ॐ आर्तलॊकाभयप्रदाय नमः ॥ ६० ॥
ॐ आकाशराजवरदाय नमः ।
ॐ यॊगिहृत्पद्ममंदिराय नमः ।
ॐ दामॊदराय नमः ।
ॐ जगत्पालाय नमः ।
ॐ पापघ्नाय नमः ।
ॐ भक्तवत्सलाय नमः ।
ॐ त्रिविक्रमाय नमः ।
ॐ शिंशुमाराय नमः ।
ॐ जटामुकुटशॊभिताय नमः ।
ॐ शंखमध्यॊल्लसन्मंजुलकिंकिण्याढ्यकरंडकाय नमः ॥ ७० ॥
ॐ नीलमॆघश्यामतनवॆ नमः ।
ॐ बिल्वपत्रार्चन प्रियाय नमः ।
ॐ जगद्व्यापिनॆ नमः ।
ॐ जगत्कर्त्रॆ नमः ।
ॐ जगत्साक्षिणॆ नमः ।
ॐ जगत्पतयॆ नमः ।
ॐ चिंतितार्थ प्रदायकाय नमः ।
ॐ जिष्णवॆ नमः ।
ॐ दाशार्हाय नमः ।
ॐ दशरूपवतॆ नमः ॥ ८० ॥
ॐ दॆवकीनंदनाय नमः ।
ॐ शौरयॆ नमः ।
ॐ हयग्रीवाय नमः ।
ॐ जनार्दनाय नमः ।
ॐ कन्याश्रवणतारॆज्याय नमः ।
ॐ पीतांबरधराय नमः ।
ॐ अनघाय नमः ।
ॐ वनमालिनॆ नमः ।
ॐ पद्मनाभाय नमः ।
ॐ मृगयासक्तमानसाय नमः ॥ ९० ॥
ॐ अश्वारूढाय नमः ।
ॐ खड्गधारिणॆ नमः ।
ॐ धनार्जनसुमुत्सुकाय नमः ।
ॐ घनसारलसन्मध्यत कस्तूरीतिलकॊज्ज्वलाय नमः ।
ॐ सच्चिदानंदरूपाय नमः ।
ॐ जगन्मंगळदायकाय नमः ।
ॐ यज्ञरूपाय नमः ।
ॐ यज्ञभॊक्त्रॆ नमः ।
ॐ चिन्मयाय नमः ।
ॐ परमॆश्वराय नमः ॥ १०० ॥
ॐ परमार्थप्रदायकाय नमः ।
ॐ शांताय नमः ।
ॐ श्रीमतॆ नमः ।
ॐ दॊर्दंडविक्रमाय नमः ।
ॐ परात्पराय नमः ।
ॐ परब्रह्मणॆ नमः ।
ॐ श्री विभवॆ नमः ।
ॐ जगदॆश्वराय नमः॥ १०८ ॥
॥ श्री वेंकटॆशाष्टॊत्तर शतनामावली संपूर्णम् ॥
108 Names of Lord Venkateswara | Sri Venkateswara Ashtottara Shathanaamaavali
आपने श्री वेंकटेश अष्टोत्तर शतनामावली (श्री वेंकटेश भगवान के १०८ नाम) साझा किए हैं, जो भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर स्वरूप की स्तुति और आराधना के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इन नामों का जाप करने से भक्त को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। प्रत्येक नाम भगवान वेंकटेश्वर के किसी विशेष गुण, स्वरूप या लीला का उल्लेख करता है, जैसे—श्रीवेकटेशाय, श्रीनिवासाय, लक्ष्मीपतये, गोविंदाय, माधवाय, जगद्व्यापिने, भक्तवत्सलाय, पद्मनाभाय, सच्चिदानंदरूपाय आदि।
श्रीवेंकटेशाय नमः – वेंकट पर्वत के स्वामी को नमस्कार।
श्रीनिवासाय नमः – श्री (लक्ष्मी) के निवास स्थान को नमस्कार।
लक्ष्मीपतये नमः – लक्ष्मी के पति को नमस्कार।
अनामयाय नमः – जो कभी रोगी नहीं होते, उन्हें नमस्कार।
अमृतांशाय नमः – अमृत के समान तेजस्वी को नमस्कार।
जगद्वंद्याय नमः – जिन्हें सम्पूर्ण जगत वंदन करता है, उन्हें नमस्कार।
गोविंदाय नमः – गौओं के रक्षक, गोविंद को नमस्कार।
शाश्वताय नमः – शाश्वत (सनातन) को नमस्कार।
प्रभवे नमः – सर्वशक्तिमान को नमस्कार।
शेषाद्रिनिलयाय नमः – शेषाद्रि पर्वत पर निवास करने वाले को नमस्कार।
देवाय नमः – देवों के देव को नमस्कार।
केशवाय नमः – केशव (विष्णु का नाम) को नमस्कार।
मधुसूदनाय नमः – मधु नामक असुर का वध करने वाले को नमस्कार।
अमृताय नमः – अमरत्व स्वरूप को नमस्कार।
माधवाय नमः – माधव (लक्ष्मीपति) को नमस्कार।
कृष्णाय नमः – कृष्ण (श्यामवर्ण) को नमस्कार।
श्रीहरये नमः – श्रीहरि (विष्णु) को नमस्कार।
ज्ञानपंजराय नमः – ज्ञान का प्रकाश देने वाले को नमस्कार।
श्रीवत्सवक्षसे नमः – वक्षस्थल पर श्रीवत्स चिह्न वाले को नमस्कार।
सर्वेशाय नमः – सबके स्वामी को नमस्कार।
चतुर्भुजाय नमः – चार भुजाओं वाले को।
चक्रधराय नमः – चक्र (सुदर्शन) धारण करने वाले को।
गदाधराय नमः – गदा धारण करने वाले को।
भक्तवत्सलाय नमः – भक्तों पर विशेष स्नेह रखने वाले को।
पद्मनाभाय नमः – नाभि से कमल उत्पन्न करने वाले को।
जगद्पालाय नमः – संसार की रक्षा करने वाले को।
सच्चिदानंदरूपाय नमः – सत्-चित्-आनंद स्वरूप को।
परमेश्वराय नमः – परम ईश्वर को।
शांताय नमः – शांत स्वरूप को।
परात्पराय नमः – सबसे श्रेष्ठ को।
परब्रह्मणे नमः – परम ब्रह्म को।
जगदीश्वराय नमः – सम्पूर्ण जगत के ईश्वर को।
इस शतनामावली का जाप करने से भगवान वेंकटेश्वर के सभी स्वरूपों, गुणों और लीलाओं का स्मरण होता है। यह भक्त के मन में श्रद्धा, भक्ति, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। हर नाम भगवान के किसी एक दिव्य गुण, शक्ति या स्वरूप का परिचायक है।
वेंकटेश्वर अष्टोत्तर शतनामावली भगवान वेंकटेश्वर के 108 पवित्र नामों का संकलन है, जो उनके विभिन्न रूपों, गुणों और दिव्य महिमा का वर्णन करता है। इस नामावली का जप श्रद्धा और भक्ति से करने से भक्तों को मानसिक शांति, पापों से मुक्ति, इच्छाओं की पूर्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्राप्त होता है। यह विशेष रूप से कलीयुग में भगवान वेंकटेश्वर की कृपा पाने का प्रभावशाली साधन माना जाता है, जिसमें उनके नामों के उच्चारण से जीवन में समृद्धि, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति होती है। भक्त इसे पूजा, साधना या विशेष पर्वों पर जप कर अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं और इससे भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं
वेंकटेश्वर के 108 नामों का जप मोक्ष प्राप्ति में इसलिए सहायक माना जाता है क्योंकि प्रत्येक नाम भगवान के किसी विशेष गुण, शक्ति या स्वरूप का स्मरण कराता है, जिससे साधक का मन एकाग्र और शुद्ध होता है। जब भक्त श्रद्धा और भक्ति से इन नामों का जाप करता है, तो उसके मन में शांति, सकारात्मकता और आत्मिक उन्नति आती है, जिससे सांसारिक बंधनों और पापों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर की आराधना से आत्मा को ध्यान और शांति मिलती है, जो मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। नियमित रूप से 108 नामों का जाप करने से व्यक्ति का चित्त निर्मल होता है, अहंकार और नकारात्मकता दूर होती है, और वह ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से भर जाता है, जिससे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) का मार्ग प्रशस्त होता है।
वेंकटेश्वर के 108 नामों का जप करने से मानसिक शांति और समृद्धि इसलिए प्राप्त होती है क्योंकि नामजप से मन एकाग्र और शुद्ध होता है, जिससे चिंता, तनाव और नकारात्मकता दूर होती है। नियमित जप से भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मन और घर-परिवार में शांति बनी रहती है। जैसे-जैसे नामजप की संख्या बढ़ती है, साधक का हृदय पवित्र होता जाता है, पापों का क्षय होता है और आत्मविश्वास, संतुलन तथा आनंद की अनुभूति होती है। साथ ही, भगवान वेंकटेश्वर की कृपा से जीवन में बाधाएँ दूर होती हैं, इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और समृद्धि का मार्ग खुलता है। इस प्रकार, इन नामों का जप न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि भी प्रदान करता है।
శ్రీ వేంకటేశ్వరాష్టోత్తర శతనామావాళి:
1. ఓం శ్రీ వేంకటేశ్వరాయ నమః
2. ఓం అవ్యక్తాయ నమః
3. ఓం శ్రీ శ్రీనివాసాయ నమః
4. ఓం కటిహస్తాయ నమః
5. ఓం లక్ష్మీపతయే నమః
6. ఓం వరప్రదాయ నమః
7. ఓం అనమయాయ నమః
8. ఓం అనేకాత్మనే నమః
9. ఓం అమృతాంశాయ నమః
10. ఓం దీనబంధవే నమః
11. ఓం జగద్వంద్యాయ నమః
12. ఓం ఆర్తలోకాభయప్రదాయ నమః
13. ఓం గోవిందాయ నమః
14. ఓం ఆకాశరాజవరదాయ నమః
15. ఓం శాశ్వతాయ నమః
16. ఓం యోగిహృత్పద్మమందిరాయ నమః
17. ఓం ప్రభవే నమః
18. ఓం దామోదరాయ నమః
19. ఓం శేషాద్రినిలయాయ నమః
20. ఓం జగత్పాలాయ నమః
21. ఓం దేవాయ నమః
22. ఓం పాపఘ్నాయ నమః
23. ఓం కేశవాయ నమః
24. ఓం భక్తవత్సలాయ నమః
25. ఓం మధుసూదనాయ నమః
26. ఓం త్రివిక్రమాయ నమః
27. ఓం అమృతాయ నమః
28. ఓం శింశుమారాయ నమః
29. ఓం మాధవాయ నమః
30. ఓం జటామకుటశోభితాయ నమః
31. ఓం కృష్ణాయ నమః
32. ఓం శంఖమధ్యోల్లసన్మంజుకింకిణ్యాఢ్యకరండకాయ నమః
33. ఓం శ్రీహరయే నమః
34. ఓం నీలమేఘశ్యామతనవే నమః
35. ఓం జ్ఞానపంజరాయ నమః
36. ఓం బిల్వపత్రార్చనప్రియాయ నమః
37. ఓం శ్రీవత్సవక్షసే నమః
38. ఓం జగద్వ్యాపినే నమః
39. ఓం సర్వేశాయ నమః
40. ఓం జగత్కర్త్రే నమః
41. ఓం గోపాలాయ నమః
42. ఓం జగత్సాక్షిణే నమః
43. ఓం పురుషోత్తమాయ నమః
44. ఓం జగత్పతయే నమః
45. ఓం గోపీశ్వరాయ నమః
46. ఓం చింతితార్ధప్రదాయకాయ నమః
47. ఓం పరంజ్యోతిషే నమః
48. ఓం జిష్ణవే నమః
49. ఓం వైకుంఠపతయే నమః
50. ఓం దాశార్హాయ నమః
51. ఓం అవ్యయాయ నమః
52. ఓం దశరూపవతే నమః
53. ఓం సుధాతనవే నమః
54. ఓం దేవకీనందనాయ నమః
55. ఓం యాదవేంద్రాయ నమః
56. ఓం శౌరయే నమః
57. ఓం నిత్యయౌవనరూపవతే నమః
58. ఓం హయగ్రీవాయ నమః
59. ఓం చతుర్వేదాత్మకాయ నమః
60. ఓం జనార్దనాయ నమః
61. ఓం విష్ణవే నమః
62. ఓం కన్యాశ్రవణతారేడ్యాయ నమః
63. ఓం అచ్యుతాయ నమః
64. ఓం పీతాంబరధరాయ నమః
65. ఓం పద్మినిప్రియాయ నమః
66. ఓం అనఘాయ నమః
67. ఓం ధరాపతయే నమః
68. ఓం వనమాలినే నమః
69. ఓం సురపతయే నమః
70. ఓం పద్మనాభాయ నమః
71. ఓం నిర్మలాయ నమః
72. ఓం మృగయాసక్తమానసాయ నమః
73. ఓం దేవపూజితాయ నమః
74. ఓం అశ్వారూఢాయ నమః
75. ఓం చతుర్భుజాయ నమః
76. ఓం ఖడ్గధారిణే నమః
77. ఓం చక్రధరాయ నమః
78. ఓం ధనార్జనసముత్సుకాయ నమః
79. ఓం త్రిధామ్నే నమః
80. ఓం ఘనసారలసన్మధ్యకస్తూరీ తిలకోజ్వలాయ నమః
81. ఓం త్రిగుణాశ్రయాయ నమః
82. ఓం సచ్చిదానందరూపాయ నమః
83. ఓం నిర్వికల్పాయ నమః
84. ఓం జగన్మంగళదాయకాయ నమః
85. ఓం నిష్కళంకాయ నమః
86. ఓం యజ్ఞరూపాయ నమః
87. ఓం నిరాతంకాయ నమః
88. ఓం యజ్ఞభోక్త్రే నమః
89. ఓం నిరంజనాయ నమః
90. ఓం చిన్మయాయ నమః
91. ఓం నిరాభాసాయ నమః
92. ఓం పరమేశ్వరాయ నమః
93. ఓం నిత్యతృప్తాయ నమః
94. ఓం పరమార్ధప్రదాయ నమః
95. ఓం నిరూపద్రవాయ నమః
96. ఓం శాంతాయ నమః
97. ఓం నిర్గుణాయ నమః
98. ఓం శ్రీమతే నమః
99. ఓం గదాధరాయ నమః
100. ఓం దోర్దండవిక్రమాయ నమః
101. ఓం శార్ఙ్గ్ పాణయే నమః
102. ఓం పరాత్పరాయ నమః
103. ఓం నందకినే నమః
104. ఓం పరబ్రహ్మణే నమః
105. ఓం శంఖధారకాయ నమః
106. ఓం శ్రీ విభవే నమః
107. ఓం అనేకమూర్తయే నమః
108. ఓం జగదీశ్వరాయ నమః
यह भी देखें You May Also Like