दरस बिन दूखण लागे नैन लिरिक्स Daras Bin Dukhan Lage Nain Lyrics

दरस बिन दूखण लागे नैन लिरिक्स Daras Bin Dukhan Lage Nain Lyrics Meera Bhajan मीरा भजन लिरिक्स हिंदी

दरस बिन दूखण लागे नैन लिरिक्स Daras Bin Dukhan Lage Nain Lyrics
 
दरस बिन दूखण लागे नैन।
जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे, कबहुं न पायो चैन।
सबद सुणत मेरी छतियां, कांपै मीठे लागै बैन।
बिरह व्यथा कांसू कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन।
कल न परत पल हरि मग जोवत, भई छमासी रैन।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, दुख मेटण सुख देन।

Daras Bin Dookhan Laage Nain.
Jabase Tum Bichhude Prabhu More, Kabahun Na Paayo Chain.
Sabad Sunat Meree Chhatiyaan, Kaampai Meethe Laagai Bain.
Birah Vyatha Kaansoo Kahoon Sajanee, Bah Gaee Karavat Ain.
Kal Na Parat Pal Hari Mag Jovat, Bhee Chhamaasee Rain.
Meera Ke Prabhu Kab Re Miloge, Dukh Metan Sukh Den. 
 

Dookhan Laagai Nain Daras Bin - Mirabai Ji - RSSB Shabad

  बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं।
सुणो री सखी तुम चेतन होयकै मनकी बात कहूं॥
साध संगति कर हरि सुख लेऊं जगसूं दूर रहूं।
तन धन मेरो सबही जावो भल मेरो सीस लहूं॥
मन मेरो लागो सुमरण सेती सबका मैं बोल सहूं।
मीरा के प्रभु हरि अविनासी सतगुर सरण गहूं॥
राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं॥

राम नाम बिन नहीं आवड़े, हिबड़ो झोला खाय।
भोजनिया नहीं भावे म्हांने, नींदडलीं नहिं आय॥

विष को प्यालो भेजियो जी, `जाओ मीरा पास,'
कर चरणामृत पी गई, म्हारे गोविन्द रे बिसवास॥

बिषको प्यालो पीं गई जीं,भजन करो राठौर,
थांरी मीरा ना मरूं, म्हारो राखणवालो और॥

छापा तिलक लगाइया जीं, मन में निश्चै धार,
रामजी काज संवारियाजी, म्हांने भावै गरदन मार॥

पेट्यां बासक भेजियो जी, यो छै मोतींडारो हार,
नाग गले में पहिरियो, म्हारे महलां भयो उजियार॥

राठोडांरीं धीयड़ी दी, सींसाद्यो रे साथ।
ले जाती बैकुंठकूं म्हांरा नेक न मानी बात॥

मीरा दासी श्याम की जी, स्याम गरीबनिवाज।
जन मीरा की राखज्यो कोइ, बांह गहेकी लाज॥
राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय।
मैं मंदभागण परम अभागण, कीरत कैसे गाऊं ए माय॥

बिरह पिंजरकी बाड़ सखी रीं,उठकर जी हुलसाऊं ए माय।
मनकूं मार सजूं सतगुरसूं, दुरमत दूर गमाऊं ए माय॥

डंको नाम सुरतकी डोरी, कड़ियां प्रेम चढ़ाऊं ए माय।
प्रेम को ढोल बन्यो अति भारी, मगन होय गुण गाऊं ए माय॥

तन करूं ताल मन करूं ढफली, सोती सुरति जगाऊं ए माय।
निरत करूं मैं प्रीतम आगे, तो प्रीतम पद पाऊं ए माय॥

मो अबलापर किरपा कीज्यौ, गुण गोविन्दका गाऊं ए माय।
मीराके प्रभु गिरधर नागर, रज चरणनकी पाऊं ए माय॥ 

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