सुनता है गुरू ग्यानी |
गगनमें आवाज हो रही झीनी ||
पहिले आये नाद बिंदुसे
पीछे जमाया पानी ||
सब घट पूरण पूर रह्या है
अलख पुरूष निरबाणी ||
वाहांसे आया पटा लिखाया
तृष्णा तो उने बुझाई ||
अमृत छो़ड छोड विषय को धावे
उलटी कास फसानी ||
गगनमंडलमें गौ बियानी
भोई पे दुई जमाया ||
माखण-माखण संतो ने खाया
छाच जगत बपरानी ||
बिन धरती एक मंडल दीसे
बिन सरोवरजूं पानी ||
गगन मंडल में होय उजियाला
बोले गुरूमुख बाणी ||
ओहं सोहं बाजा बाजे
त्रिकुटी धाम सुहानी ||
इडा, पिंगला, सुखमन नारी
सुन धजा फहरानी ||
कहे कबीरा सुनो भाई साधो
जाई अगन की बानी ||
दिनभर रे जो नजर भर देखे
अजर अमर हो निशानी ||
हो जी निशानी हो जी ||
गगनमें आवाज हो रही झीनी ||
पहिले आये नाद बिंदुसे
पीछे जमाया पानी ||
सब घट पूरण पूर रह्या है
अलख पुरूष निरबाणी ||
वाहांसे आया पटा लिखाया
तृष्णा तो उने बुझाई ||
अमृत छो़ड छोड विषय को धावे
उलटी कास फसानी ||
गगनमंडलमें गौ बियानी
भोई पे दुई जमाया ||
माखण-माखण संतो ने खाया
छाच जगत बपरानी ||
बिन धरती एक मंडल दीसे
बिन सरोवरजूं पानी ||
गगन मंडल में होय उजियाला
बोले गुरूमुख बाणी ||
ओहं सोहं बाजा बाजे
त्रिकुटी धाम सुहानी ||
इडा, पिंगला, सुखमन नारी
सुन धजा फहरानी ||
कहे कबीरा सुनो भाई साधो
जाई अगन की बानी ||
दिनभर रे जो नजर भर देखे
अजर अमर हो निशानी ||
हो जी निशानी हो जी ||
Pandit Kumar Gandharva sings Kabir - Sunta Hai Guru Gyani
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