सुनता है गुरू ग्यानी | गगनमें आवाज हो रही झीनी || पहिले आये नाद बिंदुसे पीछे जमाया पानी ||
सब घट पूरण पूर रह्या है अलख पुरूष निरबाणी || वाहांसे आया पटा लिखाया तृष्णा तो उने बुझाई || अमृत छो़ड छोड विषय को धावे उलटी कास फसानी || गगनमंडलमें गौ बियानी भोई पे दुई जमाया ||
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
माखण-माखण संतो ने खाया छाच जगत बपरानी || बिन धरती एक मंडल दीसे बिन सरोवरजूं पानी || गगन मंडल में होय उजियाला बोले गुरूमुख बाणी || ओहं सोहं बाजा बाजे त्रिकुटी धाम सुहानी ||
इडा, पिंगला, सुखमन नारी सुन धजा फहरानी || कहे कबीरा सुनो भाई साधो जाई अगन की बानी || दिनभर रे जो नजर भर देखे अजर अमर हो निशानी || हो जी निशानी हो जी ||
Pandit Kumar Gandharva sings Kabir - Sunta Hai Guru Gyani